Jabalpur News: हाईकोर्ट ने तेज आवाज में बजने वाले डीजे पर सरकार से मांगा जवाब

दैनिक सांध्य बन्धु जबलपुर। तेज आवाज में बजने वाले डीजे को लेकर जबलपुर हाईकोर्ट ने मध्यप्रदेश सरकार से जवाब तलब किया है। कोर्ट ने पूछा है कि इन पर प्रतिबंध लगाने के लिए अब तक क्या कार्रवाई की गई है और क्या कोई दिशानिर्देश निर्धारित किए गए हैं। हाईकोर्ट ने सरकार से यह भी पूछा कि डीजे की आवाज कितनी होनी चाहिए।

यह जनहित याचिका जबलपुर के अधिवक्ता अमिताभ गुप्ता ने दायर की थी, जिस पर मंगलवार को चीफ जस्टिस सुरेश कुमार कैत और जस्टिस विवेक जैन की डिवीजन बेंच ने सुनवाई की। राज्य सरकार को जवाब देने के लिए दो सप्ताह का समय दिया गया है, और अगली सुनवाई 21 मार्च को होगी।

याचिकाकर्ता ने तर्क दिया कि डीजे के कारण ध्वनि प्रदूषण बढ़ रहा है, जिससे लोग बीमार हो रहे हैं। तेज आवाज से मानसिक तनाव, उच्च रक्तचाप, नींद की समस्या और सुनने की क्षमता में कमी जैसी गंभीर स्वास्थ्य समस्याएं हो रही हैं। यही नहीं, समाज में डीजे की तेज आवाज के कारण तनाव और झगड़े भी बढ़ रहे हैं। याचिका में भोपाल और छत्तीसगढ़ के दो मामलों का उदाहरण दिया गया, जहां तेज आवाज के कारण दो लोगों की जान चली गई।

हाईकोर्ट में सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता ने मोबाइल एप के जरिए ध्वनि प्रदूषण का प्रैक्टिकल डेमो दिया और बताया कि सामान्य बातचीत के दौरान भी ध्वनि स्तर 60 डेसिबल तक पहुंच जाता है। ऐसे में जब डीजे तेज आवाज में बजता है, तो ध्वनि स्तर 120 डेसिबल या उससे अधिक हो जाता है, जो स्वास्थ्य के लिए बेहद हानिकारक है।

विशेषज्ञों के अनुसार, 90 डेसिबल से अधिक की आवाज कानों के लिए नुकसानदायक होती है और रोजाना इसके संपर्क में आने से सुनने की क्षमता कमजोर हो जाती है। नेताजी सुभाषचंद्र बोस मेडिकल कॉलेज में ईएनटी विभागाध्यक्ष डॉ. कविता सचदेवा के मुताबिक, डीजे की आवाज 120 डेसिबल से अधिक होती है, जिससे कानों पर गंभीर असर पड़ता है।

याचिकाकर्ता ने मांग की कि डॉक्टरों को इस मुद्दे पर मुहिम छेड़नी चाहिए ताकि डीजे की तेज आवाज से होने वाले नुकसान के बारे में जागरूकता बढ़े और इस पर सख्त प्रतिबंध लगाया जा सके। हाईकोर्ट ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए राज्य सरकार से जवाब मांगा है और अगली सुनवाई 21 मार्च को होगी।

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