दैनिक सांध्य बन्धु भोपाल। मध्यप्रदेश में धान खरीदी में हुए 5 करोड़ रुपये से ज्यादा के घोटाले को लेकर बीजेपी विधायक अजय विश्नोई ने अपनी ही सरकार को घेरा है। विधानसभा के बजट सत्र के दौरान उन्होंने सवाल उठाते हुए कहा कि एक महीने बाद भी जांच पूरी क्यों नहीं हुई? इस मुद्दे पर पूर्व मंत्री और बीजेपी विधायक गोपाल भार्गव ने भी उनका समर्थन किया।
विश्नोई ने उठाए तीन बड़े सवाल
1. फर्जी बिलिंग और ट्रांसपोर्टेशन घोटाला
विधायक ने कहा कि धान मिलिंग के नाम पर धान उठा लिया जाता है, लेकिन उसे मिल तक नहीं पहुंचाया जाता। इसके बावजूद ट्रांसपोर्टेशन चार्ज, मिलिंग चार्ज और प्रोत्साहन राशि वसूल ली जाती है। उन्होंने पूछा कि क्या सरकार ऐसा सिस्टम बनाएगी, जिससे यह फर्जीवाड़ा रोका जा सके?
2. सहकारी समितियों की अनियमितता
विश्नोई ने बताया कि धान खरीदी सहकारी समितियों के माध्यम से होती है, लेकिन कई समितियां डिफाल्टर हो चुकी हैं। इन समितियों के दोषी कर्मचारियों को हटाने के बजाय फिर से नई समितियों में लगा दिया जाता है, जिससे गड़बड़ियां जारी रहती हैं।
3. किसानों का भुगतान और कम्प्यूटर ऑपरेटर की भूमिका
विधायक ने कहा कि कई किसानों को अभी तक धान खरीदी का भुगतान नहीं हुआ है। साथ ही, आउटसोर्स किए गए कम्प्यूटर ऑपरेटर्स को 89 दिन के ठेके पर रखा जाता है, जो बड़ी गड़बड़ियां करते हैं। उन्होंने मांग की कि कम्प्यूटर ऑपरेटर्स की आईडी और डेटा की जांच करवाई जाए।
महिला स्व-सहायता समूहों को जिम्मेदारी देने का सुझाव
विश्नोई ने सुझाव दिया कि डिफाल्टर समितियों के कर्मचारियों के बजाय स्व-सहायता समूहों की महिलाओं (सीएलएफ क्लस्टर लेवल सेल्फ हेल्प ग्रुप) को जिम्मेदारी दी जाए। जबलपुर में इन महिला समूहों ने अच्छा काम किया है, जिससे यह मॉडल सफल हो सकता है।
दोषियों पर होगी कार्रवाई : मंत्री गोविंद सिंह राजपूत
खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति मंत्री गोविंद सिंह राजपूत ने जवाब देते हुए कहा कि दोषी समिति कर्मचारियों पर कार्रवाई की गई है। उन्होंने कहा कि 271 किसानों का बकाया भुगतान जल्द किया जाएगा, और कम्प्यूटर ऑपरेटर्स की जांच कराई जाएगी।
विश्नोई के समर्थन में आए गोपाल भार्गव
पूर्व मंत्री और रहली विधायक गोपाल भार्गव ने भी इस मुद्दे पर अपनी राय रखी। उन्होंने कहा कि चूंकि धान खरीदी का काम खाद्य नागरिक आपूर्ति विभाग और सहकारिता विभाग मिलकर देखते हैं, इसलिए जांच में समन्वय जरूरी है। भार्गव ने सुझाव दिया कि इस पूरी प्रक्रिया को स्थायी सरकारी कर्मचारियों की निगरानी में लाया जाए, ताकि गबन और अनियमितताओं को रोका जा सके।
एक महीने बाद भी जांच अधूरी, विश्नोई ने जताई नाराजगी
अजय विश्नोई ने कहा कि फर्जी आरओ और ट्रांसपोर्टेशन गड़बड़ियों की जांच करना मुश्किल नहीं है, क्योंकि ट्रक नंबर से टोल नाकों पर उनके मूवमेंट को ट्रैक किया जा सकता है। उन्होंने सवाल उठाया कि एक महीने से ज्यादा समय बीत जाने के बाद भी जांच पूरी क्यों नहीं हुई?
इस घोटाले को लेकर विपक्ष ही नहीं, बल्कि खुद बीजेपी के विधायक सरकार पर सवाल उठा रहे हैं। विश्नोई और भार्गव ने साफ कर दिया है कि जब तक जांच पूरी नहीं होती और किसानों को भुगतान नहीं किया जाता, तब तक वे इस मुद्दे को उठाते रहेंगे।