News Update: वोटर कार्ड को आधार से लिंक करने की तैयारी, सुप्रीम कोर्ट पहले लगा चुका है रोक

दैनिक सांध्य बन्धु नई दिल्ली। केंद्र सरकार एक बार फिर वोटर आईडी और आधार कार्ड को लिंक करने की दिशा में कदम बढ़ा रही है। इसी को लेकर मंगलवार को चुनाव आयोग और यूनिक आइडेंटिफिकेशन अथॉरिटी ऑफ इंडिया (UIDAI) के अधिकारियों की बैठक हुई, जिसमें दोनों को लिंक करने पर सहमति बनी। अब इस पर विशेषज्ञों की राय ली जाएगी।

कानूनी प्रक्रिया और सुप्रीम कोर्ट का निर्देश

चुनाव आयोग का कहना है कि वोटर कार्ड को आधार से जोड़ने का काम मौजूदा कानून और सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के अनुसार किया जाएगा। 2015 में सुप्रीम कोर्ट ने इस प्रक्रिया पर रोक लगा दी थी, क्योंकि आंध्र प्रदेश और तेलंगाना में 55 लाख से अधिक लोगों के नाम मतदाता सूची से हट गए थे।

2018 में सुप्रीम कोर्ट ने आधार को सिर्फ सरकारी योजनाओं और सब्सिडी के लिए अनिवार्य माना था, लेकिन किसी अन्य सेवा से जोड़ने को वैकल्पिक रखा था। इसी आधार पर पहले की प्रक्रिया रोकी गई थी।

लिंकिंग की मौजूदा प्रक्रिया और सरकार का रुख

वर्तमान कानून के तहत मतदाता सूचियों को आधार डेटाबेस से स्वैच्छिक रूप से जोड़ा जा सकता है। सरकार ने संसद में स्पष्ट किया है कि आधार-वोटर कार्ड लिंकिंग की कोई समय-सीमा तय नहीं की गई है और यह पूरी तरह स्वैच्छिक रहेगा। जो लोग अपने आधार को मतदाता सूची से नहीं जोड़ते हैं, उनके नाम नहीं काटे जाएंगे।

2025 से पहले राजनीतिक दलों से सुझाव मांगे

चुनाव आयोग ने सभी राष्ट्रीय और राज्य-मान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों से इस मुद्दे पर सुझाव मांगे हैं। आयोग 31 मार्च तक निर्वाचन पंजीकरण अधिकारियों (ERO), जिला चुनाव अधिकारियों (DEO) और मुख्य चुनाव अधिकारियों (CEO) के साथ बैठक करेगा। राजनीतिक दलों को 30 अप्रैल 2025 तक अपने सुझाव देने होंगे।

क्या होगी आगे की प्रक्रिया?

सरकार और चुनाव आयोग इस प्रक्रिया को कानूनी दायरे में रखकर आगे बढ़ाना चाहते हैं, ताकि चुनावी प्रक्रिया में पारदर्शिता, समावेशिता और कार्यक्षमता बढ़े। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट की पिछली आपत्तियों को देखते हुए इस बार प्रक्रिया को अधिक सुव्यवस्थित और पारदर्शी बनाया जाएगा।

अब देखना होगा कि विशेषज्ञों की राय और राजनीतिक दलों के सुझावों के आधार पर सरकार इस दिशा में क्या कदम उठाती है। 

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