दैनिक सांध्य बन्धु जबलपुर / Jabalpur । मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने जमानत प्रक्रिया में बड़ा बदलाव करते हुए एक नया प्रारूप जारी किया है, जिसके तहत अब सभी जमानत याचिकाओं के साथ आरोपी को स्वयं अपने पूर्व में दर्ज आपराधिक प्रकरणों की जानकारी देना अनिवार्य होगा। यह नियम 1 मई 2025 से पूरे प्रदेश में लागू किया जाएगा।
हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस सुरेश कुमार कैत के आदेश पर प्रिंसिपल रजिस्ट्रार संदीप शर्मा द्वारा यह प्रारूप जारी किया गया है। यह बदलाव सुप्रीम कोर्ट के हालिया निर्णय के बाद किया गया है, जिसमें "मुन्नेश बनाम मध्य प्रदेश" प्रकरण के तहत अदालत ने पाया था कि एक आरोपी ने अपने खिलाफ दर्ज 8 मामलों की जानकारी जमानत याचिका में नहीं दी थी। इस पर जस्टिस दीपंकर दत्ता और जस्टिस मनमोहन की डिवीजन बेंच ने सख्त टिप्पणी करते हुए स्पष्ट निर्देश दिए कि अब सभी न्यायालयों में जमानत के आवेदन के साथ आपराधिक रिकॉर्ड की जानकारी देना जरूरी होगा।
वरिष्ठ अधिवक्ता मनीष दत्त का कहना है कि अब यदि कोई व्यक्ति अग्रिम जमानत, डिफॉल्ट जमानत, अंतरिम जमानत या किसी भी प्रकार की व्यक्तिगत स्वतंत्रता की मांग करता है, तो उसे अपने आपराधिक रिकॉर्ड का खुलासा करना होगा। अभी तक यह जानकारी सरकार द्वारा दी जाती थी, लेकिन अब यह जिम्मेदारी सीधे आरोपी की होगी। बिना इस जानकारी के कोई भी जमानत याचिका स्वीकार नहीं की जाएगी।
ऐसा रहेगा प्रारूप
जमानत याचिका के साथ अब एफआईआर नंबर, किन धाराओं में मामला दर्ज है, किस थाने में मामला दर्ज है और वह थाना किस जिले में आता है, जैसी जानकारी देनी होगी।
इन मामलों में भी अनिवार्य:
SC/ST एक्ट के तहत धारा 14 में दी जाने वाली अस्थायी जमानत, सजा का निलंबन, अपील या अन्य किसी भी कानूनी उपाय से व्यक्तिगत स्वतंत्रता की मांग करने पर भी यह नियम लागू होगा। यह नियम जबलपुर, इंदौर और ग्वालियर की खंडपीठों में 1 अक्टूबर 2017 से लंबित सभी मामलों पर भी लागू होगा।