Jabalpur News: फर्जी डॉक्टर बनकर इलाज करता रहा बीजेपी नेता, कोर्ट के आदेश पर दर्ज हुई FIR

दैनिक सांध्य बन्धु जबलपुर। कोरोना महामारी के दौरान जब देश संकट से जूझ रहा था, उसी समय जबलपुर जिला अस्पताल में एक ऐसा चेहरा सेवाओं में जुटा था, जो अब विवादों के घेरे में है। बीजेपी नेता शुभम अवस्थी के खिलाफ पुलिस ने एफआईआर दर्ज की है। यह कार्रवाई जिला अदालत के आदेश के बाद की गई। आरोप है कि शुभम अवस्थी ने कोरोना काल में आपदा के समय फर्जी डिग्री के आधार पर जिला अस्पताल में सरकारी डॉक्टर बनकर काम किया। वह कोरोना संक्रमण काल के दौरान संदिग्धों के सैंपल इकट्ठा करता था और कोरोना पीड़ितों के उपचार में भी सहयोग करता था।

फर्जी डिग्री के आधार पर बना डॉक्टर

शुभम अवस्थी ने वर्ष 2020-21 में कोरोना की पहली लहर के दौरान जिला अस्पताल में संविदा आयुष चिकित्सक के रूप में नियुक्ति ली थी। इसके लिए उसने रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय से बीएएमएस की जाली डिग्री और मध्यप्रदेश आयुर्वेद यूनानी चिकित्सा बोर्ड का फर्जी पंजीयन क्रमांक प्रस्तुत किया।

कोर्ट के आदेश के बाद दर्ज हुआ केस

शैलेन्द्र बारी नामक व्यक्ति ने शुभम अवस्थी की डिग्री को चुनौती दी थी, जिसके बाद कोर्ट के निर्देश पर सिविल लाइंस थाने में धोखाधड़ी, कूटरचित दस्तावेजों के उपयोग सहित कई धाराओं में मामला दर्ज हुआ। फिलहाल आरोपी फरार है।

स्वास्थ्य विभाग की भूमिका भी संदिग्ध

इस मामले ने स्वास्थ्य विभाग की कार्यप्रणाली पर भी सवाल खड़े कर दिए हैं। इतनी संवेदनशील नियुक्ति के दौरान दस्तावेजों की सही तरीके से जांच न होना विभागीय लापरवाही को दर्शाता है। माना जा रहा है कि जांच की आंच अब स्वास्थ्य अधिकारियों तक भी पहुंच सकती है।

राजनीतिक संबंधों पर भी उठे सवाल

शुभम अवस्थी बीजेपी के चिकित्सा प्रकोष्ठ से जुड़ा रहा है। उसकी प्रधानमंत्री मोदी और मुख्यमंत्री मोहन यादव के साथ तस्वीरें भी सामने आई हैं, जिससे राजनीतिक हलचल तेज हो गई है।

संकट में किया सेवा कार्य : शुभम अवस्थी

कुछ दिनों पूर्व मीडिया से बात करते हुए शुभम अवस्थी ने कहा, “कोविड काल में जब लोग अपने भी साथ छोड़ रहे थे, तब मैंने जिला अस्पताल में सेवाएं दीं। मेरा काम सिर्फ सैंपल लेना था, इलाज करना नहीं। जांच चल रही है और कोर्ट का जो भी निर्णय होगा, मैं स्वीकार करूंगा।”

शिकायतकर्ता शैलेन्द्र बारी ने पहले सीएमएचओ, कलेक्टर व एसपी से शिकायत की, लेकिन जब कार्रवाई नहीं हुई तो कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। हाई कोर्ट ने भी इस मामले में हस्तक्षेप करते हुए जिला कोर्ट को 60 दिन में निर्णय देने के निर्देश दिए थे।

फिलहाल आरोपी फरार है और पुलिस उसे तलाश रही है।

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