Jabalpur News: 17 दिन के मासूम के दिल में छेद; CMHO ने छुट्टी के दिन खोला ऑफिस, सरकारी खर्च पर मुंबई भेजा गया नवजात

दैनिक सांध्य बन्धु जबलपुर। दिल को छू लेने वाली मानवता और कर्तव्यपरायणता की मिसाल जबलपुर में देखने को मिली, जब 17 दिन के नवजात शिशु के दिल में जन्मजात छेद होने की जानकारी मिलते ही स्वास्थ्य विभाग और जिला प्रशासन ने रविवार के अवकाश को दरकिनार कर तत्काल कार्रवाई की।

मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी (CMHO) डॉ. संजय मिश्रा को जब यह जानकारी मिली कि पाटन निवासी स्वप्निल पटेल के नवजात बेटे विनायक की हालत नाजुक है और उसे तत्काल इलाज की जरूरत है, तो उन्होंने अवकाश के दिन भी सरकारी कार्यालय खुलवाया। जरूरी दस्तावेज तैयार करवाकर बच्चे को मुंबई के नारायणा अस्पताल इलाज के लिए भेजने की व्यवस्था की गई।

गरीब परिवार को मिला सरकार का सहारा

स्वप्निल पटेल, जो निजी नौकरी करते हैं, इतने महंगे इलाज का खर्च नहीं उठा सकते थे। डॉक्टरों ने बताया कि इलाज में करीब 2.4 लाख रुपए लगेंगे। ऐसे में राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम (RBSK) के तहत मदद की पहल की गई।

RBSK और जिला प्रशासन की संयुक्त तत्परता

RBSK जिला प्रबंधक सुभाष शुक्ला के सहयोग से पूरा केस CMHO के पास पहुंचाया गया। डॉ. मिश्रा ने त्वरित निर्णय लेते हुए कलेक्टर दीपक कुमार सक्सेना से दस्तावेजों पर हस्ताक्षर करवाए। कुछ ही घंटों में प्रक्रिया पूरी कर नवजात को मुंबई भेजने की तैयारी कर ली गई।

मुंबई भेजा गया नवजात, सरकार उठाएगी पूरा खर्च

सरकार ने न केवल इलाज का खर्च उठाने की जिम्मेदारी ली, बल्कि माता-पिता के साथ नवजात को ट्रेन में आरक्षण दिलाकर मुंबई तक सुरक्षित पहुंचाने की व्यवस्था भी की। बच्चे का इलाज राज्य सरकार और नारायणा अस्पताल के बीच हुए MOU के तहत होगा।

माता-पिता ने जताया आभार

मुंबई रवाना होने से पहले स्वप्निल और उनकी पत्नी शालिनी ने स्वास्थ्य विभाग और जिला प्रशासन को धन्यवाद देते हुए कहा, “हमारे लिए भगवान बनकर आए ये अफसर।”

CMHO बोले: इंसानियत पहले, ड्यूटी बाद में 

डॉ. संजय मिश्रा ने कहा, “स्वास्थ्य विभाग 24x7 काम करता है। ऐसे मामलों में इंसानियत सबसे पहले आती है। जरूरत पड़ी तो हम हर दिन ऑफिस खोलने को तैयार हैं।”

संवेदनशील प्रशासन की मिसाल

2023 में भी ऐसा ही मामला सामने आया था, जब एक मरीज को नागपुर भेजने के लिए रविवार को कार्यालय खोला गया था। यह घटना एक बार फिर साबित करती है कि जब नीयत नेक हो, तो व्यवस्था भी संवेदनशील बन जाती है।

Post a Comment

Previous Post Next Post