लाडली बहना योजना की अप्रैल किस्त पर सियासत गर्म: कांग्रेस ने उठाए सवाल, BJP ने कहा- 16 अप्रैल को ट्रांसफर होगी राशि

दैनिक सांध्य बन्धु भोपाल। मध्यप्रदेश की बहुचर्चित लाड़ली बहना योजना की अप्रैल माह की किस्त अभी तक लाभार्थी महिलाओं के खातों में नहीं पहुंची है। 10 तारीख बीत जाने के बाद भी राशि न आने पर कांग्रेस ने सरकार की नीयत पर सवाल उठाए हैं, वहीं भाजपा का कहना है कि मुख्यमंत्री 16 अप्रैल को मंडला से राशि ट्रांसफर करेंगे।

वादाखिलाफी कर रही है सरकार : जीतू पटवारी

प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी ने सोशल मीडिया पर लिखा कि पहले तो हर जगह होर्डिंग्स लगते थे, "लाड़ली बहनों, 10 तारीख आ रही है", लेकिन इस बार पैसे नहीं आए। उन्होंने सवाल किया- "क्या सरकार की नीयत बदल गई या फिर सरकार कर्ज में डूब गई?"

पटवारी ने ये भी आरोप लगाया कि विधानसभा में खुद सरकार मान चुकी है कि ₹1250 की राशि ₹3000 तक नहीं बढ़ाई जाएगी। साथ ही 60 वर्ष से अधिक उम्र की 3 लाख 19 हजार से ज्यादा महिलाओं के नाम पोर्टल से हटाए जा चुके हैं।

समय पर पहुंचेगी राशि : मंत्री निर्मला भूरिया

महिला बाल विकास मंत्री निर्मला भूरिया ने स्पष्ट किया कि किसी भी बहन की किस्त नहीं रोकी गई है। सभी के खातों में राशि नियमित रूप से ट्रांसफर की जा रही है।

वहीं, मंडला कलेक्टर सोमेश मिश्रा ने बताया कि मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव 16 अप्रैल को मंडला में सामूहिक विवाह सम्मेलन में शामिल होंगे और वहीं से लाड़ली बहना योजना की राशि ट्रांसफर करेंगे।

दो साल में साढ़े तीन लाख लाभार्थी कम हुए

कांग्रेस ने आरोप लगाया है कि समग्र पोर्टल से लाभार्थी महिलाओं के नाम हटाए जा रहे हैं। आधार को डीलिंक किया जा रहा है और जिलों में इसकी शिकायतें भी पहुंच रही हैं। रिपोर्ट्स के मुताबिक दो साल में लगभग 3.5 लाख लाड़ली बहनों के नाम योजना से हटाए जा चुके हैं।

शिवराज की सोच से जन्मी थी योजना

तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा था कि यह योजना उनके दिल से निकली सोच है। उन्होंने अपनी पत्नी को सुबह 4 बजे उठाकर योजना के बारे में बताया था। उन्होंने कहा था- "यह कोई योजना नहीं, बहनों की जिंदगी बचाने का महाअभियान है।"

चुनाव में लाड़ली बहना योजना का असर

विधानसभा चुनाव के दौरान योजना की छह किस्तें महिलाओं के खातों में पहुंच चुकी थीं, जिससे भाजपा को महिला वोटरों का भारी समर्थन मिला।

एक रिपोर्ट के अनुसार, योजना के कारण भाजपा को उन सीटों पर भी जीत मिली जहां अंतर 10 हजार से कम था।

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