दैनिक सांध्य बन्धु जबलपुर। मध्यप्रदेश में शिक्षकों के 10,000 पदों पर चल रही भर्ती प्रक्रिया पर जबलपुर हाईकोर्ट ने बड़ा निर्णय सुनाया है। कोर्ट ने भर्ती के पात्रता नियमों में अचानक किए गए बदलावों को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई करते हुए राज्य सरकार समेत सभी संबंधित विभागों को नोटिस जारी किया है। साथ ही स्पष्ट कर दिया है कि इस भर्ती में की जाने वाली सभी नियुक्तियां याचिका के अंतिम निर्णय के अधीन रहेंगी।
पात्रता में बदलाव को बताया अनुचित, याचिका में दी दलील
यह याचिका माध्यमिक शिक्षक (संस्कृत) पद के लिए आवेदन करने वाले अभ्यर्थी प्रदीप कुमार पांडे द्वारा दायर की गई थी। उन्होंने बताया कि उन्होंने 2023 की शिक्षक पात्रता परीक्षा (TET) पास की थी और सभी आवश्यक योग्यताएं भी पूरी थीं, लेकिन 2024 में नया एग्जाम मैनुअल जारी कर पात्रता की शर्तों में बदलाव कर दिया गया। इस बदलाव के कारण वे और उनके जैसे कई अन्य उम्मीदवार अचानक भर्ती प्रक्रिया से बाहर हो गए।
संविधान के अनुच्छेद 14 का उल्लंघन बताया
याचिकाकर्ता ने कोर्ट में कहा कि पात्रता शर्तों में इस तरह का अचानक बदलाव न केवल अनुचित है, बल्कि संविधान के अनुच्छेद 14 (समानता का अधिकार) का भी उल्लंघन करता है। कोर्ट ने इस दलील को गंभीरता से लेते हुए राज्य सरकार, प्रोफेशनल एग्जामिनेशन बोर्ड, लोक शिक्षण संचालनालय और कर्मचारी चयन मंडल को नोटिस जारी कर चार सप्ताह में जवाब मांगा है।
अगली सुनवाई चार सप्ताह बाद
हाईकोर्ट की एकलपीठ ने जस्टिस डीडी बंसल की अध्यक्षता में सुनवाई करते हुए कहा कि शिक्षकों की भर्ती की प्रक्रिया तो जारी रह सकती है, लेकिन सभी नियुक्तियां न्यायिक निर्णय के अधीन मानी जाएंगी। इस मामले की अगली सुनवाई चार सप्ताह बाद तय की गई है।