Jabalpur News: आर्डनेंस फैक्ट्री खमरिया में फिर शुरू हो सकता है एल-70 गन का ट्रायल उत्पादन

दैनिक सांध्य बन्धु जबलपुर। पाकिस्तान के खिलाफ हुए 'ऑपरेशन सिंदूर' में दुश्मन के ठिकानों पर अचूक वार कर भारतीय सेना की ताकत बढ़ाने वाली एंटी एयरक्राफ्ट गन एल-70 एक बार फिर सुर्खियों में है। जबलपुर स्थित आर्डनेंस फैक्ट्री खमरिया (ओएफके) में इस गन के ट्रायल उत्पादन को फिर से शुरू करने की तैयारियां चल रही हैं।

तीन साल पहले तक इसका नियमित निर्माण बंद हो गया था, लेकिन हालिया सैन्य कार्रवाई में इस गन के शानदार प्रदर्शन के बाद अब इसे दोबारा उत्पादन में लाने की योजना पर काम किया जा रहा है। सेना की मांग और तकनीकी दक्षता को देखते हुए म्यूनिशंस इंडिया लिमिटेड (MIL) ने अपनी इकाई ओएफके में आंतरिक तैयारियों को मजबूत करना शुरू कर दिया है।

एल-70 का अपग्रेडेड वर्जन अब पूरी तरह स्वदेशी तकनीक पर आधारित है और यह गन अब दुश्मन के ड्रोन, हेलिकॉप्टर और कम ऊंचाई पर उड़ने वाले विमानों को मार गिराने में सक्षम है। इसकी मारक क्षमता करीब 5 किलोमीटर तक है और यह 300 राउंड प्रति मिनट की दर से फायर कर सकती है। इसमें राडार-आधारित फायर कंट्रोल सिस्टम लगा है जो लक्ष्य भेदन में उच्च सटीकता सुनिश्चित करता है।

गौरतलब है कि एल-70 गन का पहली बार 1960 के दशक में स्वीडन से आयात हुआ था, लेकिन आत्मनिर्भर भारत अभियान के तहत इसका स्वदेशीकरण कर इसे ओएफके में ही तैयार किया जाने लगा। सेना और वायुसेना की निम्न-ऊंचाई वाली एयर डिफेंस जरूरतों के लिए यह अब भी अहम हथियार बना हुआ है।

ऑपरेशन सिंदूर के दौरान ही ओएफके में बने 250 किग्रा, 450 किग्रा और थाउजेंड पाउंडर एरियल बमों का भी प्रभावी उपयोग किया गया था, जिन्हें मिराज और सुखोई जैसे लड़ाकू विमानों से गिराया गया। इन सफलताओं ने ओएफके की साख को फिर से ऊंचा किया है और इसे निजी रक्षा कंपनियों की चुनौती के बीच एक बार फिर मजबूती दी है।

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