दैनिक सांध्य बन्धु भोपाल। मध्यप्रदेश में बीजेपी नेताओं की बयानबाजी पर केंद्रीय नेतृत्व ने कड़ा रुख अख्तियार कर लिया है। भाजपा के राष्ट्रीय सह संगठन महामंत्री शिवप्रकाश ने स्पष्ट कहा है कि नेता अति उत्साह में आकर किसी भी प्रकार की बयानबाजी न करें। उन्होंने हिदायत दी कि तिरंगा यात्रा के दौरान सिर्फ "जय हिंद" बोलें और चुपचाप आगे बढ़ जाएं।
दरअसल, हाल ही में ऑपरेशन सिंदूर को लेकर कैबिनेट मंत्री विजय शाह के आपत्तिजनक बयान के बाद कई अन्य नेताओं ने भी टिप्पणी की, जिससे भाजपा की छवि पर असर पड़ा है। इसी के चलते शिवप्रकाश ने 18 मई को हुई वर्चुअल मीटिंग में मुख्यमंत्री मोहन यादव, प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा, संगठन महामंत्री हितानंद शर्मा और अन्य वरिष्ठ नेताओं को कड़ा संदेश दिया। उन्होंने कहा कि जिन नेताओं ने सीजफायर और सेना को लेकर आपत्तिजनक बयान दिए हैं, उन्हें जांच के दायरे में लिया जाएगा और रिपोर्ट भी तलब की गई है।
सबसे अधिक विवाद विजय शाह के बयान को लेकर हुआ, जिसमें उन्होंने एक महिला अफसर के खिलाफ अभद्र भाषा का प्रयोग किया। इस मामले में हाईकोर्ट के आदेश पर एफआईआर दर्ज की गई और अब सुप्रीम कोर्ट ने भी एसआईटी जांच के आदेश दे दिए हैं।
डिप्टी सीएम जगदीश देवड़ा, पूर्व मंत्री फग्गन सिंह कुलस्ते और विधायक नरेंद्र प्रजापति के बयानों ने भी भाजपा को मुश्किल में डाला है। देवड़ा के बयान को कांग्रेस ने सेना का अपमान बताया, वहीं कुलस्ते की जुबान फिसल गई और वे आतंकियों को "हमारे" कह बैठे। विधायक प्रजापति ने सीजफायर को लेकर भ्रामक जानकारी दी, जिसे बाद में उन्होंने गलत मानते हुए माफी मांगी।
भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व ने यह भी स्पष्ट किया कि अब आगे से किसी भी नेता ने मर्यादा लांघी तो कठोर कार्रवाई की जाएगी। शिवप्रकाश ने कहा कि बिना पूछे किसी विषय पर सार्वजनिक टिप्पणी करना अनुशासनहीनता है।
इससे पहले भी कई नेताओं के बयानों ने भाजपा को संकट में डाला है। पंचायत मंत्री प्रहलाद पटेल का "भीख मांगने की आदत" वाला बयान, भूपेंद्र सिंह के तंत्र-मंत्र वाले आरोप, शिक्षा मंत्री उदयप्रताप सिंह की अतिथि शिक्षकों पर टिप्पणी, और विधानसभा में अजय विश्नोई, नरेंद्र कुशवाह व चिंतामण मालवीय जैसे नेताओं के सवालों ने भाजपा को असहज किया है।
बयानबाजी से हो रही क्षति को देखते हुए अब भाजपा नेतृत्व ने साफ कर दिया है कि अनुशासन से समझौता बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।