दैनिक सांध्य बन्धु जबलपुर। पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद भारतीय सेना द्वारा चलाए गए 'ऑपरेशन सिंदूर' की कमान संभालने वाली कर्नल सोफिया कुरैशी का मध्यप्रदेश के जबलपुर और छतरपुर से गहरा संबंध है। जबलपुर की अधारताल कॉलोनी में उनका परिवार आज भी रहता है। ऑपरेशन की सफलता के बाद मीडिया के सामने आकर खुद कर्नल सोफिया ने ब्रीफिंग दी, जिसने उन्हें देशभर में चर्चा का विषय बना दिया।
भाभी ने कहा— देखा तो सिर गर्व से ऊंचा हो गया
अधारताल में रहने वाली उनकी भाभी उजमा कुरैशी ने भावुक होते हुए कहा, "जब टीवी पर उन्हें देखा तो आंखें नम हो गईं। एक डर भी था, लेकिन गर्व उससे कहीं बड़ा था। मिशन को 'सिंदूर' नाम देना और उसे सफल बनाना, ये दिखाता है कि हमारी बेटियां हर मोर्चे पर सक्षम हैं।"
भतीजी बोली— बुआ को देख सेना में जाने का सपना देखा
सोफिया की भतीजी आन्हा कुरैशी ने कहा, "टीवी में देखा तो यकीन ही नहीं हुआ कि इतनी बड़ी सैन्य कार्रवाई की कमान मेरी बुआ ने संभाली थी। अब मेरा भी सपना है कि मैं आर्मी में जाकर देश की सेवा करूं।" वीडियो कॉल में सोफिया ने उसे पढ़ाई पर ध्यान देने की सीख दी।
सेना से गहरा पारिवारिक रिश्ता
कर्नल सोफिया के पिता ताज मोहम्मद कुरैशी BSF में सूबेदार के पद से रिटायर्ड हुए हैं। उनके चाचा इस्माइल कुरैशी और बली मोहम्मद भी बीएसएफ में सेवाएं दे चुके हैं। सोफिया की शिक्षा बड़ौदा और रांची में हुई थी, जिसके बाद उनका चयन भारतीय सेना में हुआ। वह लेफ्टिनेंट से लेकर वर्तमान में कर्नल पद तक पहुंच चुकी हैं। उनके पति ताजुद्दीन कुरैशी भी सेना में मेजर हैं।
अंतरराष्ट्रीय मंच पर भी परचम लहराया
2016 में भारत के सबसे बड़े विदेशी सैन्य अभ्यास 'एक्सरसाइज फोर्स-18' की वह एकमात्र महिला कमांडर रहीं। इसके साथ ही उन्होंने 6 वर्षों तक संयुक्त राष्ट्र के शांति मिशनों में सेवा देकर भारत का नाम अंतरराष्ट्रीय स्तर पर रोशन किया।
प्रेरणा बन रहीं देश की बेटियों के लिए
कर्नल सोफिया कुरैशी की यह उपलब्धि न केवल जबलपुर-छतरपुर, बल्कि पूरे देश के लिए गौरव की बात है। उनका जीवन देश की बेटियों के लिए एक प्रेरणा है कि कोई भी सपना बड़ा नहीं होता, अगर इरादे मजबूत हों।