Jabalpur News: न्यायपालिका का मजाक न बनाएं, ‘यहां नहीं चलेगी बहानेबाजी’, सरकार पर लगाया ₹50,000 का जुर्माना

दैनिक सांध्य बन्धु जबलपुर। मध्य प्रदेश हाई कोर्ट की युगल पीठ ने एक मामले की सुनवाई के दौरान राज्य सरकार को जमकर फटकार लगाई। जस्टिस विवेक अग्रवाल और जस्टिस देवनारायण मिश्रा की पीठ ने कहा कि हाई कोर्ट कोई मजाक नहीं है, यहां बहानेबाजी नहीं चलेगी। कोर्ट ने सरकार पर ₹50,000 का जुर्माना लगाते हुए यह राशि विधिक सेवा समिति के खाते में जमा कराने के निर्देश दिए हैं। साथ ही स्पष्ट किया कि सरकार चाहें तो यह रकम दोषी अधिकारी से वसूल सकती है।

यह मामला बुरहानपुर निवासी शेख अफजल के विरुद्ध राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम (NSA) के तहत की गई कार्रवाई को चुनौती देने वाली याचिका से जुड़ा है। कोर्ट ने पूर्व में राज्य शासन को निर्देश दिए थे कि केंद्र शासन को भेजी गई जानकारी से संबंधित रजिस्टर पेश किया जाए।

राज्य सरकार की ओर से एक तृतीय श्रेणी कर्मचारी गोरेलाल को वह रजिस्टर लेकर कोर्ट में पेश होना था, लेकिन वह समय पर नहीं पहुंचा। इस पर सरकारी वकील ने बहाना बनाया कि पहलगाम की आतंकी घटना के बाद सिविल डिफेंस की तैयारी में सभी व्यस्त हैं। रजिस्टर मुख्य सचिव की अनुमति से ही आ सकता था और मुख्य सचिव मुख्यमंत्री के साथ बैठक में व्यस्त थे।

जब कोर्ट ने इस दावे का लिखित प्रमाण मांगा, तो पेश की गई नोटशीट में ऐसा कोई उल्लेख नहीं था। इसके बाद कोर्ट ने कर्मचारी गोरेलाल से प्रत्यक्ष सवाल किया कि क्या वह सिविल डिफेंस से जुड़ा है, तो उसने साफ कर दिया कि वह केवल एक तृतीय श्रेणी कर्मचारी है और उसका सिविल डिफेंस से कोई लेना-देना नहीं।

कोर्ट ने सख्त लहजे में कहा कि इस तरह की बहानेबाजी से न्यायपालिका का मजाक नहीं बनाया जा सकता। यह गंभीर मामला है और सरकारी तंत्र की लापरवाही स्पष्ट रूप से उजागर होती है। इसलिए राज्य सरकार पर ₹50,000 का जुर्माना लगाया जाता है।

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