दैनिक सांध्य बन्धु संभल (उत्तर प्रदेश)। उत्तर प्रदेश के संभल जिले में महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) के तहत बड़ा घोटाला सामने आया है। यहां पंवासा ब्लॉक के अतरासी गांव में एक दर्जन से ज्यादा मृत व्यक्तियों के नाम पर फर्जी जॉब कार्ड बनाकर 1.05 लाख रुपये का गबन किया गया। जांच में यह तथ्य सामने आने के बाद जिला प्रशासन ने मौजूदा ग्राम प्रधान सुनीता यादव से वसूली शुरू कर दी है।
इस फर्जीवाड़े में न सिर्फ मृत व्यक्तियों के नाम का इस्तेमाल किया गया, बल्कि कुछ जीवित लोगों के नाम पर भी बिना उनकी जानकारी के जॉब कार्ड बना दिए गए। इनमें एक इंटर कॉलेज के प्राचार्य ऋषिपाल सिंह भी शामिल हैं, जिन्होंने कहा कि उन्हें इस बारे में कोई जानकारी नहीं थी और उन्होंने मनरेगा के तहत कभी कोई काम नहीं किया।
संभल के जिलाधिकारी राजेंद्र पेंसिया ने बताया कि यह मामला करीब सात महीने पहले संज्ञान में आया था, जिसके बाद जांच के आदेश दिए गए थे। नियमों के अनुसार, अगर गबन 10 प्रतिशत से कम होता है तो सीधे संबंधित व्यक्ति से वसूली की जाती है। फिलहाल ग्राम प्रधान से 1.05 लाख रुपये की वसूली की जा रही है और अन्य विकास कार्यों की भी जांच शुरू कर दी गई है।
गांव के ही संजीव कुमार ने बताया कि उनके दादा जगत सिंह का निधन 2020 में हो चुका है, लेकिन जांच के दौरान जब अधिकारियों ने उनके दादा का नाम लिया, तब जाकर उन्हें पता चला कि उनके नाम पर मजदूरी निकाली जा रही है। ऐसे ही दर्जनों मृत व्यक्तियों के नाम पर जॉब कार्ड बनाए गए हैं और उनके नाम से पैसे निकाले गए।
जांच रिपोर्ट के आधार पर जिला प्रशासन ने साफ कर दिया है कि दोषियों पर कार्रवाई जारी रहेगी। गांव में अन्य योजनाओं और कार्यों की भी गहन जांच की जाएगी ताकि भविष्य में ऐसी गड़बड़ियों को रोका जा सके।
इस खुलासे के बाद गांव वालों में भारी आक्रोश है। कई ग्रामीणों ने आरोप लगाया है कि ग्राम प्रधान ने उनकी जानकारी के बिना उनके नाम पर जॉब कार्ड बनवाकर पैसे निकाले। अब सवाल उठता है कि ग्राम स्तर पर इस तरह के भ्रष्टाचार पर कैसे अंकुश लगाया जाएगा?