दैनिक सांध्य बन्धु जबलपुर। मेडिकल पेशे की गरिमा को ठेस पहुंचाने वाला एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है, जहां सत्येंद्र कुमार नामक युवक ने आरक्षण का फायदा उठाकर अपने दोस्त बृजराज उइके की मार्कशीट का इस्तेमाल कर एमबीबीएस की डिग्री हासिल की और डॉक्टर बन गया। महिला मरीज की मौत के बाद शुरू हुई जांच में इस फर्जीवाड़े का खुलासा हुआ।
1 सितंबर को रेलवे ऑफिसर्स कॉलोनी निवासी मनोज महावर की मां शांति देवी की तबीयत मार्बल सिटी अस्पताल में बिगड़ी और मौत हो गई। ड्यूटी पर मौजूद डॉक्टर बृजराज की कार्यप्रणाली पर मनोज को शक हुआ। जब उसने डॉक्टर की पड़ताल की तो हैरान करने वाला सच सामने आया—डॉक्टर असली बृजराज नहीं, बल्कि उसका दोस्त सत्येंद्र निकला।
पुलिस जांच में सामने आया कि कटनी निवासी बृजराज उइके एक पेंटर है और सत्येंद्र उसका पुराना दोस्त। सत्येंद्र ने साल 2011 में आरक्षण का लाभ लेते हुए बृजराज की 10वीं-12वीं की मार्कशीट पर अपनी फोटो लगाकर नेताजी सुभाषचंद्र बोस मेडिकल कॉलेज में एमबीबीएस में दाखिला लिया। बाद में उसने आरडीवीवी से डिग्री ली और मेडिकल सुपर स्पेशलिस्ट और मार्बल सिटी अस्पताल में नौकरी की।
मार्बल सिटी अस्पताल के संचालक डॉ. नागराज ने बताया कि सत्येंद्र ने भर्ती से पहले सभी दस्तावेज और मध्यप्रदेश मेडिकल काउंसिल का वैध रजिस्ट्रेशन नंबर प्रस्तुत किया था। उसकी डिग्री जांच के बाद ही उसे नौकरी दी गई थी। मार्च 2025 में उसने अचानक अस्पताल आना बंद कर दिया और अब तक लापता है।
एएसपी सूर्यकांत शर्मा के अनुसार, यह बड़ा फर्जीवाड़ा है। पुलिस डॉक्टर बृजराज उर्फ सत्येंद्र की तलाश कर रही है और अस्पताल से सभी दस्तावेज जुटाए जा रहे हैं। प्रारंभिक जांच में उसके खिलाफ धोखाधड़ी की धाराओं में एफआईआर दर्ज की जा चुकी है।
यह मामला मेडिकल काउंसिल, शिक्षा विभाग और आरक्षण व्यवस्था की निगरानी पर गंभीर सवाल खड़े करता है। सत्येंद्र जैसे लोग न सिर्फ कानून का मज़ाक बना रहे हैं, बल्कि मरीजों की जिंदगी को भी खतरे में डाल रहे हैं।
जांच जारी है
पुलिस की जांच जैसे-जैसे आगे बढ़ रही है, उम्मीद जताई जा रही है कि इस मामले में और कई चौंकाने वाले तथ्य सामने आ सकते हैं।
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