दैनिक सांध्य बन्धु इंदौर। मध्य प्रदेश हाई कोर्ट की इंदौर खंडपीठ ने एक महत्वपूर्ण टिप्पणी करते हुए हत्या के एक आरोपित को जमानत पर रिहा करने का आदेश दिया है। कोर्ट ने कहा, "जो महिला मरी ही नहीं, उसकी हत्या के आरोप में किसी को जेल में कैसे रखा जा सकता है?"
14 सितंबर 2023 को झाबुआ जिले के थांदला थाना क्षेत्र में एक अज्ञात महिला का शव पानी में मिला था। पंचायत प्रतिनिधि प्रकाश कटारा की सूचना पर पुलिस ने महिला की पहचान क्षेत्र की एक युवती के रूप में की। पुलिस की जांच में सामने आया कि महिला की दोस्ती शाहरुख नामक युवक से थी और अंतिम बार उसी के साथ देखी गई थी।
पुलिस ने शाहरुख को गिरफ्तार किया और उसके बयान के आधार पर इमरान समेत तीन अन्य लोगों को महिला से दुष्कर्म और हत्या के आरोप में जेल भेज दिया गया। शाहरुख ने बयान में कहा कि 500 रुपये को लेकर विवाद हुआ और उसके बाद सबने मिलकर डंडों से पीट-पीटकर महिला की हत्या कर दी।
करीब डेढ़ साल बाद इस केस में बड़ा मोड़ आया, जब वही महिला थाने में जीवित अवस्था में पहुंची और बताया कि वह बाहर मजदूरी कर रही थी। उसके साथ कोई घटना नहीं हुई थी। पुलिस ने डीएनए जांच और अन्य तरीकों से उसकी पहचान की पुष्टि की।
इसके बाद आरोपित इमरान की ओर से जमानत याचिका दायर की गई, जिसे अदालत ने स्वीकार कर लिया।
कोर्ट ने स्पष्ट किया कि जब मृत बताई गई महिला जीवित है और उसके साथ किसी प्रकार की आपराधिक घटना नहीं हुई, तो ऐसे में हत्या और दुष्कर्म के आरोप झूठे प्रतीत होते हैं। इस आधार पर कोर्ट ने इमरान को जमानत दी और मामले की गंभीरता पर सवाल उठाए।
इस घटना ने पुलिस जांच की गुणवत्ता पर भी सवाल खड़े कर दिए हैं। बिना पूरी पुष्टि के चार लोगों को डेढ़ साल तक जेल में रखना न्याय व्यवस्था पर गंभीर सवाल उठाता है।