म्यूल अकाउंट्स का जाल और 8.5 लाख फर्जी खाते
सीबीआई की प्रारंभिक जांच में यह चौंकाने वाला खुलासा हुआ कि देश के विभिन्न हिस्सों में 700 से अधिक बैंक शाखाओं में करीब 8.5 लाख म्यूल बैंक खाते खोले गए थे। इन खातों का इस्तेमाल यूपीआई फ्रॉड, फर्जी निवेश योजनाओं, लुभावने विज्ञापन, और डिजिटल अरेस्ट स्कैम्स जैसे साइबर अपराधों में किया जा रहा था।इन खातों को फर्जी केवाईसी दस्तावेजों के ज़रिए खोला गया या फिर बैंकिंग नियमों की खुलेआम अनदेखी कर सत्यापन की प्रक्रिया को दरकिनार कर दिया गया।
बैंक अधिकारियों और एजेंटों की मिलीभगत
सीबीआई के मुताबिक, इस संगठित साइबर फ्रॉड में कुछ बैंक अधिकारी, एजेंट, बैंकिंग कॉरेस्पॉन्डेंट्स और ई-मित्र सेंटर संचालकों की सक्रिय संलिप्तता पाई गई है।इनकी मदद से म्यूल अकाउंट्स खोले गए और साइबर धोखाधड़ी से प्राप्त रकम को आगे ट्रांसफर कर ठिकाने लगाया गया। कई मामलों में बैंकों ने संदिग्ध लेनदेन को नजरअंदाज किया, और खाताधारकों को पहचान-पत्र या आधिकारिक सूचना तक नहीं दी गई, जो सीधे तौर पर बैंकिंग नियमों का उल्लंघन है।
डिजिटल साक्ष्य और दस्तावेज जब्त
छापेमारी के दौरान सीबीआई ने मोबाइल फोन, लेन-देन से जुड़े दस्तावेज, केवाईसी फॉर्म्स, बैंकिंग विवरण और अन्य डिजिटल सबूत जब्त किए हैं। जांच एजेंसी का कहना है कि ये सबूत साइबर फ्रॉड नेटवर्क की जड़ों तक पहुंचने में अहम भूमिका निभाएंगे।गंभीर धाराओं में एफआईआर, भ्रष्टाचार निवारण कानून के तहत कार्रवाई
इस मामले में सीबीआई ने आपराधिक साजिश, धोखाधड़ी, फर्जी दस्तावेजों के उपयोग और जालसाजी जैसी गंभीर धाराओं में एफआईआर दर्ज की है। साथ ही भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत बैंक अधिकारियों और संबंधित कर्मियों के खिलाफ भी मामला दर्ज किया गया है।सरकार के साइबर अपराध विरोधी अभियान का हिस्सा
सीबीआई ने प्रेस विज्ञप्ति में कहा है कि यह कार्रवाई भारत सरकार के साइबर अपराधों के प्रति जीरो टॉलरेंस नीति और डिजिटल धोखाधड़ी को जड़ से खत्म करने की प्रतिबद्धता का हिस्सा है। गिरफ्तार सभी आरोपियों को अदालत में पेश कर रिमांड पर लिया गया है। मामले की जांच गहराई से जारी है।
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