Jabalpur News Update: डिप्रेशन में चल रहे जूनियर डॉक्टर ने चौथी मंजिल से कूदकर दी जान

दैनिक सांध्य बन्धु जबलपुर। नेताजी सुभाषचंद्र बोस मेडिकल कॉलेज में गुरुवार सुबह हुए एक दर्दनाक हादसे ने सभी को झकझोर कर रख दिया। कॉलेज के प्रथम वर्ष के छात्र और जूनियर डॉक्टर शिवांश गुप्ता ने हॉस्टल की चौथी मंजिल से छलांग लगाकर आत्महत्या कर ली। यह घटना लगभग सुबह 11:30 बजे की बताई जा रही है, जब छात्र ने अचानक हॉस्टल बिल्डिंग से कूदने का कदम उठाया। मौके पर भगदड़ की स्थिति बन गई और छात्र को गंभीर हालत में कैजुअल्टी ले जाया गया, जहां इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई।

पहले दोस्तों को भेजा था मैसेज: "परेशान हूं"

पुलिस जांच में सामने आया है कि शिवांश गुप्ता ने आत्महत्या से ठीक पहले अपने दो करीबी दोस्तों को मैसेज भेजा था, जिसमें उसने लिखा था कि वह बेहद परेशान है। जब दोस्तों ने उससे उसकी परेशानी का कारण पूछा, तो उसने कोई जवाब नहीं दिया। इससे यह संकेत मिलता है कि छात्र पिछले कुछ दिनों से मानसिक तनाव या अवसाद (डिप्रेशन) में था।

पुलिस और कॉलेज प्रशासन इस बात की तह में जाने की कोशिश कर रहे हैं कि छात्र किन कारणों से इतना परेशान था कि उसे यह गंभीर कदम उठाना पड़ा।

आईसीयू में लड़ी जिंदगी की जंग, नहीं बचाया जा सका

छात्र को घायल अवस्था में कॉलेज के इमरजेंसी वार्ड में लाया गया, जहां से तुरंत आईसीयू में भर्ती किया गया। उसके सिर, हाथ और पैरों में गंभीर चोटें आई थीं। डॉक्टरों की टीम ने उसे बचाने की हर संभव कोशिश की, लेकिन शरीर को आई चोटें इतनी घातक थीं कि कुछ घंटों के इलाज के बाद शिवांश की मौत हो गई।

घटना की जानकारी मिलते ही मेडिकल कॉलेज के डीन डॉ. नवनीत सक्सेना, अधीक्षक डॉ. अरविंद शर्मा समेत अन्य वरिष्ठ अधिकारी तत्काल हॉस्टल और अस्पताल पहुंचे। कॉलेज प्रबंधन ने मृतक छात्र के परिजनों को सूचना दे दी है।

गढ़ा थाना पुलिस के सब इंस्पेक्टर योगेंद्र सिंह के मुताबिक, "छात्र शिवांश का रूम पार्टनर इन दिनों छुट्टी पर है, जिससे वह हॉस्टल के कमरे में अकेला रह रहा था। ऐसे में उसकी मानसिक स्थिति पर किसी की नजर नहीं थी।"

हॉस्टल नंबर 4 में फैली दहशत

शिवांश की आत्महत्या से हॉस्टल नंबर 4 में अफरा-तफरी और शोक का माहौल फैल गया। छात्र बेहद सदमे में हैं और कई छात्रों ने बताया कि शिवांश आमतौर पर शांत स्वभाव का था। हालांकि, बीते कुछ दिनों से वह ज्यादा लोगों से बातचीत नहीं कर रहा था।

डिप्रेशन बना जानलेवा

इस घटना ने एक बार फिर मेडिकल छात्रों की मानसिक स्थिति और दबाव भरे शैक्षणिक माहौल पर सवाल खड़े कर दिए हैं। हर साल कई मेडिकल छात्र भारी मानसिक दबाव, अकेलापन, प्रतिस्पर्धा और भावनात्मक तनाव के कारण डिप्रेशन का शिकार हो जाते हैं।

विशेषज्ञों का मानना है कि मेडिकल कॉलेजों में मानसिक स्वास्थ्य काउंसलिंग को अनिवार्य किया जाना चाहिए ताकि ऐसी दुर्भाग्यपूर्ण घटनाओं को रोका जा सके।

पुलिस जांच जारी

पुलिस मामले की गंभीरता से जांच कर रही है और छात्र के मोबाइल फोन, सोशल मीडिया और निजी बातचीत की पड़ताल की जा रही है। साथ ही यह भी देखा जा रहा है कि कॉलेज या हॉस्टल के वातावरण में कोई ऐसा दबाव तो नहीं था जो छात्र को मानसिक रूप से तोड़ रहा था।

परिवार पर टूटा दुखों का पहाड़

रीवा निवासी शिवांश गुप्ता के परिवार पर इस खबर के बाद दुखों का पहाड़ टूट पड़ा है। जैसे ही उन्हें सूचना मिली, वे जबलपुर के लिए रवाना हो गए। बेटे की मौत से माता-पिता और परिजन सदमे में हैं।

Post a Comment

Previous Post Next Post