दैनिक सांध्य बन्धु जबलपुर। आधारताल स्थित पशु चिकित्सा केंद्र में बीते शनिवार रात लगी भीषण आग ने लाखों रुपए की दवाइयों को चंद घंटों में राख कर दिया। घटना को एक सप्ताह बीत चुका है, लेकिन आग लगने की असली वजह अब तक सामने नहीं आई है। शुरुआती जांच में 50 लाख रुपए से ज्यादा की दवाओं के नुकसान की पुष्टि हुई है, जबकि सवाल यह भी उठ रहे हैं कि आग दुर्घटना थी या किसी साजिश का हिस्सा।
घटना 31 मई की रात करीब 11 बजे के आसपास हुई, जब सेंटर से धुंआ उठता देख चौकीदार ने अधिकारियों को सूचना दी। तत्काल पशु चिकित्सा विभाग के डिप्टी डायरेक्टर डॉ. प्रफुल्ल मून मौके पर पहुंचे और फायर ब्रिगेड को बुलाया गया। दमकल की टीम ने करीब दो घंटे की मशक्कत के बाद आग पर काबू पाया, लेकिन तब तक अंदर रखा सारा दवा स्टॉक जलकर खाक हो चुका था।
पशु चिकित्सा केंद्र जिले भर के पशु स्वास्थ्य केंद्रों को दवाइयों की सप्लाई का मुख्य केंद्र है, जहां करोड़ों रुपए की दवाइयां स्टॉक में रहती हैं। सबसे हैरानी की बात यह है कि घटना स्थल के पास ही विभाग के कर्मचारी भी रहते हैं, लेकिन किसी को समय रहते आग की भनक नहीं लगी।
डिप्टी डायरेक्टर डॉ. मून ने बताया कि आग पीछे की खिड़की से लगी और इतनी भीषण थी कि दमकल की मदद के बिना उस पर काबू पाना संभव नहीं था। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि घटनास्थल पर कोई महत्वपूर्ण दस्तावेज नहीं थे, सिर्फ दवाइयों का स्टॉक रखा गया था।
घटना के तुरंत बाद आधारताल थाने में शिकायत दर्ज कराई गई और अब पुलिस जांच जारी है। साथ ही विभागीय स्तर पर भी एक जांच समिति गठित की गई है, जो यह पता लगाएगी कि यह दुर्घटना थी या इसके पीछे कोई गहरी साजिश है। विभाग ने इस घटना की जानकारी भोपाल मुख्यालय को भी भेज दी है।
हालांकि आग के कारणों पर अब भी सस्पेंस बना हुआ है। न तो शॉर्ट सर्किट के कोई संकेत मिले हैं और न ही कोई तकनीकी गड़बड़ी सामने आई है। ऐसे में यह मामला गंभीर जांच की मांग करता है। विभागीय लापरवाही या संभावित साजिश—जो भी वजह हो—पशु चिकित्सा केंद्र जैसे अहम संस्थान की सुरक्षा और निगरानी पर गंभीर सवाल खड़े कर रही है।