दैनिक सांध्य बन्धु जबलपुर। शहर की बड़ी आबादी अब भी संजीवनी क्लीनिक की सुविधा से वंचित है। जबलपुर नगर निगम क्षेत्र के 79 वार्डों में से केवल 51 वार्डों में ही अब तक संजीवनी क्लीनिक शुरू हो पाए हैं। शेष 28 वार्डों के रहवासियों को प्राथमिक स्वास्थ्य सुविधाओं के लिए अभी भी जिला अस्पताल या मेडिकल कॉलेज का रुख करना पड़ रहा है, जिससे समय और संसाधनों की भारी बर्बादी हो रही है।
43 वार्डों में नए क्लीनिक बनने थे, 32 ही चालू
नगर निगम और स्वास्थ्य विभाग के साझा प्रयासों से 60 वार्डों में नए संजीवनी क्लीनिक खोले जाने थे, जिनमें 43 स्थानों पर जमीन की उपलब्धता सुनिश्चित की गई थी। अब तक इनमें से 32 क्लीनिक चालू हो चुके हैं, जबकि 5 क्लीनिक बनकर तैयार हैं लेकिन वहां मेडिकल ऑफिसर की नियुक्ति नहीं हो पाई है।
6 वार्डों में जमीन की समस्या
सबसे बड़ी समस्या 6 वार्डों में क्लीनिक खोलने के लिए उपयुक्त जमीन न मिल पाने की सामने आई है। इससे इन वार्डों में स्वास्थ्य सेवाओं की शुरुआत अधर में लटकी हुई है। प्रशासन के सामने यह चुनौती है कि जल्द से जल्द वैकल्पिक भूमि की व्यवस्था कर क्लीनिक की स्थापना सुनिश्चित की जाए।
पहले से मौजूद 19 वार्डों में चल रही सेवाएं
जिन 19 वार्डों में पहले से स्वास्थ्य केन्द्र या अस्पताल मौजूद हैं, वहां पहले से ही संजीवनी योजना के तहत सेवाएं संचालित की जा रही हैं।
वार्डों में प्राथमिक स्वास्थ्य सेवा क्यों है जरूरी?
जानकारों के अनुसार, बीमारी या दुर्घटना की स्थिति में प्राथमिक उपचार समय पर मिलना बेहद आवश्यक होता है। वार्ड स्तर पर स्वास्थ्य केन्द्र होने से मरीजों को तुरंत प्राथमिक उपचार मिल सकता है, जिससे गंभीर स्थिति बनने से बचा जा सकता है।
वर्तमान स्थिति संक्षेप में:
43 क्लीनिकों के लिए स्थान मिला
32 क्लीनिक चालू
5 क्लीनिक बनकर तैयार, डॉक्टर की प्रतीक्षा
6 क्लीनिकों के लिए जमीन नहीं मिली
मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी (सीएमएचओ) डॉ. संजय मिश्रा ने बताया कि स्टाफ की उपलब्धता के अनुसार शेष क्लीनिकों को जल्द शुरू करने का प्रयास किया जा रहा है। प्रशासन की कोशिश है कि सभी वार्डों में स्वास्थ्य सुविधाएं शीघ्र सुलभ हो सकें।