दैनिक सांध्य बन्धु जबलपुर। जिले से करीब 35 किलोमीटर दूर घाट पिपरिया गांव के सैकड़ों ग्रामीण बुधवार को ढोल-नगाड़ों के साथ संभागीय कमिश्नर कार्यालय पहुंचे। उनका कहना है कि गांव में अंग्रेजों के समय (1939) खुदवाया गया ऐतिहासिक तालाब अब भूमाफिया के कब्जे में है। ग्रामीणों ने इस तालाब को अपनी "जीवनरेखा" बताते हुए अधिकारियों से गुहार लगाई कि इसे बचाया जाए।
ग्रामीणों ने बताया कि करीब 11 एकड़ क्षेत्र में फैले इस तालाब पर कुछ दबंगों ने कब्जा कर लिया है। मनरेगा योजना के तहत लाखों रुपए खर्च कर इसका जीर्णोद्धार किया गया था, लेकिन अब पानी की एक बूंद भी ग्रामीणों को नसीब नहीं हो रही। आरोप है कि कुछ अधिकारियों की मिलीभगत से भूमाफिया तालाब को खत्म करने की साजिश में लगे हैं।
तालाब बेच दिया, प्रशासन मौन
ग्रामीणों ने बताया कि बंदोबस्त के समय दो एकड़ तालाब गलती से उमाशंकर श्रीपाल नामक व्यक्ति के नाम दर्ज हो गया, जिसे अब आधार बनाकर भू-माफिया पूरे तालाब को हड़पने में लगे हैं। इसकी शिकायत जनपद सीईओ, जिला पंचायत सीईओ और यहां तक कि कलेक्टर से भी की गई, लेकिन किसी स्तर पर कोई कार्रवाई नहीं हुई।
1939 में खुदवाया गया था यह तालाब
ग्रामीण संतोष तिवारी ने बताया कि यह तालाब ब्रिटिश शासनकाल में 1939 में खुदवाया गया था। आसपास के आधा दर्जन गांवों के लोग और उनके मवेशी इसी तालाब पर निर्भर रहते हैं। उन्होंने कहा कि अगर यह तालाब खत्म हो गया, तो क्षेत्र में जल संकट गहरा जाएगा।
अपर कमिश्नर को सौंपा गया ज्ञापन, FIR की मांग
ग्रामीणों ने अपर कमिश्नर से मुलाकात कर तालाब को अतिक्रमण मुक्त कराने, आरोपियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराने और तालाब को गांव की सार्वजनिक संपत्ति घोषित करने की मांग की। उनका कहना है कि यह सिर्फ एक जल स्रोत नहीं, बल्कि गांव का इतिहास और भविष्य दोनों है।