दैनिक सांध्य बन्धु।वरिष्ठ पत्रकार कल्पेश याग्निक को आत्महत्या के लिए उकसाने की आरोपी सलोनी अरोरा और उसके कथित फर्जी जमानतदार केदार डाबी को शनिवार को रिमांड अवधि समाप्त होने के बाद कोर्ट में पेश किया गया, जहां से दोनों को न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया गया। क्राइम ब्रांच अब इस पूरे नेटवर्क की परतें उधेड़ने की दिशा में गंभीरता से काम कर रही है।
सलोनी अरोरा पर आरोप है कि उसने दिवंगत पत्रकार कल्पेश याग्निक को 5 करोड़ रुपये की ब्लैकमेलिंग कर मानसिक रूप से प्रताड़ित किया था, जिससे उन्होंने आत्मघाती कदम उठाया। इस गंभीर आरोप में सलोनी पूर्व में जेल भी जा चुकी है। हाल ही में जब उसे दोबारा गिरफ्तार किया गया, तो वह एक बार फिर फर्जी दस्तावेजों के आधार पर केदार डाबी को अपना जमानतदार बनाकर जमानत पाने की कोशिश में लगी थी। लेकिन क्राइम ब्रांच की सतर्कता के चलते यह मंशा नाकाम रही।
पुलिस सूत्रों के अनुसार, केदार डाबी सिमरोल क्षेत्र का निवासी है और वह फर्जी जमानतदारों के एक सक्रिय गिरोह से जुड़ा हुआ है। केदार इससे पहले भी इसी तरह के मामलों में गिरफ्तार हो चुका है। इस बार की गिरफ्तारी के दौरान उसके पास से करीब दर्जनभर फर्जी ऋण पुस्तिकाएं बरामद की गई हैं, जो कई अन्य मामलों की कड़ी जोड़ सकती हैं।
इस पूरे प्रकरण में फरियादी की भूमिका निभा रहे कल्पेश याग्निक के भाई नीरज याग्निक की शिकायत पर क्राइम ब्रांच ने कार्रवाई की थी। दोनों आरोपियों को दो बार तीन-तीन दिनों के रिमांड पर लिया गया। पूछताछ में हालांकि सलोनी अरोरा से कोई खास जानकारी नहीं मिल सकी, लेकिन केदार डाबी के खुलासों के आधार पर जांच एजेंसी अब फर्जी दस्तावेजों और जमानतदारों के एक संगठित गिरोह तक पहुंचने का दावा कर रही है।
क्राइम ब्रांच अधिकारियों का कहना है कि फर्जी दस्तावेजों के सहारे न्यायिक प्रक्रिया के दुरुपयोग का यह मामला बेहद गंभीर है और इससे जुड़े हर व्यक्ति को कानून के कठघरे में लाया जाएगा। आने वाले दिनों में इस नेटवर्क से जुड़ी और गिरफ्तारियां संभव हैं।