दैनिक सांध्य बन्धु इंदौर।दृढ़ इच्छाशक्ति, संघर्ष और आत्मविश्वास से हर चुनौती को मात दी जा सकती है — यह साबित किया है इंदौर की गुरदीप कौर वासु ने। मात्र 34 वर्ष की उम्र में गुरदीप ने इतिहास रचते हुए बहुविकलांगता के बावजूद मध्यप्रदेश सरकार की सेवा में नियुक्ति पाई है। वे न बोल सकती हैं, न सुन सकती हैं, और न देख सकती हैं, इसके बावजूद उन्होंने वह कर दिखाया है, जिसे असंभव माना जाता था।
गुरदीप को प्रदेश के वाणिज्यिक कर विभाग में चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी के पद पर नियुक्त किया गया है। सामाजिक न्याय से जुड़े संगठनों का दावा है कि यह देश का पहला प्रकरण है, जब इतनी गंभीर बहुविकलांगता से जूझ रही महिला को नियमित सरकारी सेवा में स्थान मिला है।
जन्म से संघर्ष, पर हौसला अडिग
गुरदीप का जन्म समय से पूर्व हुआ था। स्वास्थ्य संबंधी जटिलताओं के चलते उन्हें जन्म के बाद लगभग दो महीने तक अस्पताल में भर्ती रहना पड़ा। उनके पिता मनजीत वासु बताते हैं कि पांच महीने की उम्र तक गुरदीप किसी भी आवाज या हलचल पर प्रतिक्रिया नहीं दे रही थीं। चिकित्सकीय परीक्षणों के बाद परिवार को यह हकीकत स्वीकारनी पड़ी कि उनकी बेटी न बोल सकती है, न सुन सकती है और न देख सकती है।
लेकिन माता-पिता ने हार नहीं मानी। उन्होंने गुरदीप के लिए विशेष शिक्षकों की मदद से घर पर ही पढ़ाई की व्यवस्था की। गुरदीप ने विशेष सहायक साधनों की मदद से 12वीं तक की शिक्षा पूरी की और विभिन्न सामाजिक संस्थाओं से जुड़कर आत्मनिर्भरता की दिशा में कदम बढ़ाए।
विशेष अभियान के तहत मिली नियुक्ति
वाणिज्यिक कर विभाग की अतिरिक्त आयुक्त सपना पंकज सोलंकी ने बताया कि गुरदीप का चयन दिव्यांगजनों के लिए चलाए गए विशेष भर्ती अभियान के अंतर्गत उनकी योग्यता के आधार पर किया गया है।
उन्होंने कहा, “गुरदीप बेहद मेहनती हैं। वह प्रतिदिन समय पर कार्यालय आती हैं और कार्य सीखने में पूरी रुचि दिखा रही हैं। उन्हें उनके कार्यों के लिए टेक्नोलॉजी और टीम का पूरा सहयोग दिया जा रहा है।