दैनिक सांध्य बन्धु जबलपुर। राजस्थान के झालावाड़ में हाल ही में हुए स्कूल हादसे के बाद मध्यप्रदेश में शिक्षा विभाग सतर्क हो गया है। जबलपुर संभाग के 8 जिलों में संचालित 15,689 सरकारी स्कूलों की स्थिति की जांच में सामने आया कि 639 स्कूल भवन बच्चों के बैठने लायक नहीं हैं। कहीं छत से प्लास्टर गिर रहा है तो कहीं कमरों में बारिश का पानी भर गया है।
सबसे खराब हालात जबलपुर और सिवनी में
स्कूल शिक्षा विभाग की रिपोर्ट के अनुसार सबसे ज्यादा जर्जर भवन सिवनी और जबलपुर जिले में हैं। जबकि डिंडोरी और मंडला जिलों ने दावा किया है कि उनके यहां एक भी स्कूल भवन जर्जर नहीं है। विभाग के जॉइंट डायरेक्टर ने सभी जिलों के DEO को निर्देश जारी किए हैं कि जर्जर भवनों में छात्रों को बैठाकर कक्षाएं न कराई जाएं, बल्कि वैकल्पिक व्यवस्था की जाए।
जमीनी हकीकत: स्कूल या खतरे का घर?
1. इंदिरा नगर (बरगी) स्कूल
यह स्कूल जिला मुख्यालय से महज 40 किमी दूर है, लेकिन हालत चिंताजनक है। बारिश के दौरान कमरे में रस्सी बांधकर छात्र अपनी गीली किताबें सुखाते हैं। लाइब्रेरी की किताबें भीग चुकी हैं, लेकिन अब तक कोई समाधान नहीं।
2. बिलपुरा की एकीकृत शासकीय स्कूलयहां का पूरा भवन जर्जर हालत में है। बारिश में बच्चों को स्कूल आना बंद करना पड़ता है या दूसरी जगह कक्षाएं शिफ्ट की जाती हैं। कमरों में पानी भरा रहता है और गर्मी-सर्दी में बाहर बैठकर पढ़ाई कराई जाती है।
3. शासकीय प्राथमिक बालक शाला, घमापुर
यहां छत से लगातार प्लास्टर गिरता रहता है। दो कमरे पूरी तरह जर्जर हैं जबकि बाकी दो की हालत भी दयनीय है। शिक्षकों ने कई बार शिकायत की, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई।
क्या कहता है शिक्षा विभाग?
शिक्षा विभाग की रिपोर्ट के बाद अब सभी जिला शिक्षा अधिकारियों को निर्देश दिए गए हैं कि बच्चों की सुरक्षा से कोई समझौता न हो। जिन स्कूलों की हालत बेहद खराब है, वहां बच्चों को बैठाना बंद कर वैकल्पिक भवन या जगह की व्यवस्था की जाए।