दैनिक सांध्य बन्धु भोपाल/रायसेन। मध्य प्रदेश अब देश के रेल मानचित्र पर एक नई औद्योगिक पहचान जोड़ने जा रहा है। राज्य को अपनी पहली रेल और मेट्रो कोच निर्माण फैक्ट्री मिलने जा रही है, जिसकी स्थापना रायसेन जिले के उमरिया गांव में की जाएगी। इस महत्वाकांक्षी परियोजना की आधारशिला 10 अगस्त को रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह द्वारा रखी जाएगी।मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने 7 अगस्त को इस फैक्ट्री से जुड़ी तैयारियों की समीक्षा करते हुए कहा कि यह परियोजना न केवल राज्य की औद्योगिक क्षमता को बढ़ाएगी, बल्कि हज़ारों युवाओं को रोज़गार का अवसर भी प्रदान करेगी।
परियोजना की प्रमुख विशेषताएं:
कुल लागत: लगभग ₹1,800 करोड़स्थान: उमरिया गाँव, ज़िला रायसेन
जमीन: 60 हेक्टेयर क्षेत्र आवंटित
रोज़गार: करीब 2,000 लोगों को मिलेगा सीधा लाभ
उत्पादन: वंदे भारत, अमृत भारत और मेट्रो ट्रेनों के अत्याधुनिक कोच
औद्योगिक लाभ: रायसेन और भोपाल में सहायक इकाइयों को मिलेगा बढ़ावा
मुख्यमंत्री ने बताया कि यह यूनिट न केवल ट्रेनों के अत्याधुनिक कोच तैयार करेगी, बल्कि इससे रायसेन और भोपाल जैसे क्षेत्रों में छोटे-बड़े उद्योगों को भी गति मिलेगी।
भोपाल और रेल इतिहास का ऐतिहासिक संबंध
मुख्यमंत्री यादव ने कार्यक्रम के दौरान भोपाल रियासत के ऐतिहासिक रेल योगदान की चर्चा करते हुए बताया कि, “भोपाल की तत्कालीन बेगम साहिबा ने अंग्रेज़ों को ₹40 लाख उधार देकर दिल्ली से दक्षिण भारत तक रेल मार्ग बनवाने में मदद की थी, जो उस समय एक क्रांतिकारी कदम था।”उन्होंने यह भी बताया कि भोपाल रियासत ने पहले भारत में विलय से इनकार किया था और पाकिस्तान से जुड़ने की मंशा जताई थी। नवाब ने सरकारी धन पाकिस्तान के बैंक में जमा किया था, लेकिन आम जनता के संघर्ष और देशभक्ति से भोपाल भारत का हिस्सा बना।
तिरंगा यात्रा से जोड़ा गया ऐतिहासिक गौरव
मुख्यमंत्री ने कहा, "हमने तिरंगा यात्रा को इस ऐतिहासिक रेल विरासत से जोड़ा है, क्योंकि यह सिर्फ एक परियोजना नहीं, बल्कि प्रदेश के गौरव और आत्मनिर्भरता का प्रतीक है।"