दैनिक सांध्य बन्धु नई दिल्ली। बिहार में महागठबंधन की वोटर अधिकार यात्रा के बीच तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन की एंट्री पर नया विवाद खड़ा हो गया है। स्टालिन मुजफ्फरपुर पहुंचे और राहुल गांधी व तेजस्वी यादव के साथ यात्रा में शामिल हुए। उन्होंने कहा कि "बिहार के लोगों का नाम वोटर लिस्ट से हटाना सही नहीं है, मैं तमिलनाडु से अपने भाइयों का समर्थन करने आया हूं।"
लेकिन स्टालिन की मौजूदगी से BJP को बड़ा मुद्दा मिल गया। वजह है उनकी पार्टी DMK के नेताओं के पुराने बयान। दिसंबर 2023 में DMK सांसद दयानिधि मारन ने कहा था कि यूपी-बिहार से आने वाले लोग तमिलनाडु में सिर्फ कंस्ट्रक्शन और टॉयलेट साफ करने का काम करते हैं। इस बयान का उस वक्त तेजस्वी यादव समेत RJD ने विरोध किया था।
अब जब स्टालिन बिहार आए तो आम लोगों से लेकर महागठबंधन के समर्थक भी असहज दिखे। लोगों ने कहा कि राहुल और तेजस्वी उन नेताओं को मंच दे रहे हैं, जो बिहारियों का अपमान कर चुके हैं। एक्सपर्ट्स ने भी इसे "सेल्फ गोल" करार दिया और कहा कि स्टालिन को लाना राजनीतिक रूप से जरूरी नहीं था।
कांग्रेस और RJD का तर्क है कि स्टालिन INDIA ब्लॉक का हिस्सा हैं, इसलिए उन्हें बुलाया गया। कांग्रेस ने इसे बिहारियों के साथ तमिलनाडु के रिश्तों को मजबूत करने की कोशिश बताया, जबकि BJP ने इसे बिहार का अपमान करार दिया। BJP नेताओं ने कहा कि स्टालिन और उनकी पार्टी बिहार व सनातन धर्म का विरोध करती है और लालू परिवार उन्हें संरक्षण दे रहा है।
स्टालिन के साथ यात्रा में प्रियंका गांधी भी शामिल हुईं। तीज के दिन उनकी मौजूदगी को खास रणनीति बताया जा रहा है। कांग्रेस ने मिथिलांचल, महिला वोटर और धार्मिक भावनाओं को साधने की कोशिश की है। राहुल और प्रियंका को देखने के लिए बड़ी भीड़ उमड़ी, लेकिन एक्सपर्ट्स का मानना है कि यह भीड़ वोट में तब्दील होगी या नहीं, कहना मुश्किल है।
कुल मिलाकर, स्टालिन की एंट्री से जहां महागठबंधन को एकजुटता का संदेश देने का मौका मिला, वहीं विपक्ष को बैठे-बैठाए बिहार के सम्मान और आत्मसम्मान का बड़ा मुद्दा मिल गया है।