दैनिक सांध्य बन्धु जबलपुर। ऑर्डिनेंस फैक्ट्री की जीआईएफ (ग्रे आयरन फाउंड्री) में बुधवार रात सीबीआई ने छापामार कार्रवाई की। दिल्ली से आई टीम ने छापे में कई आपत्तिजनक दस्तावेज और डिजिटल साक्ष्य बरामद किए। कार्रवाई के दौरान फैक्ट्री में पदस्थ डिप्टी जनरल मैनेजर (डीजीएम) दीपक लांबा को हिरासत में लेकर पूछताछ की गई और बाद में दिल्ली ले जाया गया।
नागपुर से जुड़ा है करप्शन केस
आरोप है कि दीपक लांबा ने नागपुर की अंबाझरी फैक्ट्री में पदस्थ रहते हुए एक निजी फर्म को ठेके में फायदा पहुंचाया था। इससे सरकार को लाखों रुपए का नुकसान हुआ। मामले में सीबीआई ने 25 अगस्त को डीजीएम लांबा, ऑटोमेशन इंजीनियरिंग एंड इंडस्ट्रियल सर्विसेज और संचालक मोहित ठोलिया पर एफआईआर दर्ज की थी।
शिकायत पर हुई कार्रवाई
नागपुर की यंत्र इंडिया लिमिटेड (वाईआईएल) के डिप्टी चीफ विजिलेंस ऑफिसर डीकेटी गुप्ता ने शिकायत दर्ज कराई थी। इसी आधार पर सीबीआई ने 3 सितंबर को जबलपुर सहित कई ठिकानों पर छापामार कार्रवाई शुरू की।
परिवार के खातों में संदिग्ध लेनदेन
जांच में खुलासा हुआ है कि लांबा ने अपने चचेरे भाई मोहित ठोलिया के साथ मिलकर फर्जी फर्म बनाई थी। इस फर्म के खातों से लांबा, उनकी पत्नी, भाई, बहन और मां के खातों में बड़े पैमाने पर संदिग्ध लेनदेन हुए हैं।
टेंडर शर्तों में किया बदलाव
सीबीआई जांच में यह भी सामने आया कि डीजीएम लांबा ने फर्म को फायदा पहुंचाने के लिए टेंडर की शर्तों में हेरफेर किया। फर्जी अनुभव प्रमाण पत्र लगाकर फर्म को ठेका दिलाया गया और नियमों को जानबूझकर अनदेखा किया गया।
सीबीआई की यह कार्रवाई न केवल ऑर्डिनेंस फैक्ट्री जबलपुर बल्कि अन्य रक्षा प्रतिष्ठानों में भी हड़कंप का कारण बनी हुई है।