दैनिक सांध्य बन्धु जबलपुर। शताब्दीपुरम कॉलोनी में बने कार्तिक गणेश उद्यान का हाल नगर निगम की लापरवाही से बेहद खराब हो गया है। वर्ष 2008 में जबलपुर विकास प्राधिकरण (जेडीए) ने इस उद्यान का निर्माण कराया था। वर्ष 2018 में जेडीए ने इसे नगर निगम के सुपुर्द कर दिया और रखरखाव व विकास के लिए 5.5 करोड़ रुपए भी दिए। इसके बावजूद पार्क का विकास नहीं हो सका।
सुविधाओं का अभाव
स्थानीय लोगों का कहना है कि उद्यान में आज तक बच्चों के लिए झूले, फिसलपट्टी या अन्य मनोरंजन के साधन नहीं लगाए गए। न तो टहलने के लिए पाथ-वे बनाया गया और न ही बैठने के लिए बेंचें लगाई गईं। सफाई के अभाव में पौधों की जगह खरपतवार उग आए हैं। कचरे के ढेर और गंदगी से पूरा उद्यान बदहाल है।
अंधेरे में डूबा पार्क
शाम होते ही पूरा उद्यान अंधेरे में डूब जाता है। स्ट्रीट लाइट या उद्यान की लाइटें भी नहीं हैं। कॉलोनी में जेडीए ने 10 बिल्डिंग और 320 क्वार्टर बनाए थे, लेकिन इतने बड़े आवासीय क्षेत्र के बावजूद लोगों को साफ-सुथरा और सुरक्षित उद्यान नसीब नहीं हो रहा है।
बच्चे सड़क पर खेलने को मजबूर
पार्क में सुविधाएं न होने से बच्चे सड़क पर खेलने को मजबूर हैं। इससे उनके साथ हादसों का खतरा भी बढ़ गया है।
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कॉलोनी में गंदगी का अंबार
सिर्फ उद्यान ही नहीं, कॉलोनी की सफाई व्यवस्था भी चरमराई हुई है। नालियां गंदगी से अटी पड़ी हैं और सड़कों पर कचरे के ढेर लगे रहते हैं। स्थानीय निवासियों का कहना है कि कचरा वाहन भी नियमित रूप से कचरा उठाने नहीं आते, जिससे संक्रामक बीमारियों का खतरा बढ़ गया है।
शिकायत के बाद भी कार्रवाई नहीं
लोगों ने कई बार क्षेत्रीय पार्षद सोनिया सिंह से शिकायत की, लेकिन कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई। नगर निगम के उद्यान विभाग की कार्यप्रणाली पर भी स्थानीय लोगों ने सवाल उठाए हैं।
करोड़ों रुपए मिलने के बावजूद हाल बेहाल
जेडीए ने 31 मार्च 2016 को उद्यान, सड़क, नाली और पानी की व्यवस्था का जिम्मा नगर निगम को सौंपा था। साथ ही रखरखाव और विकास के लिए 5.5 करोड़ रुपए भी दिए थे। लेकिन निगम अधिकारियों ने इस धनराशि का उपयोग नहीं किया और उद्यान आज भी उपेक्षा का शिकार बना हुआ है।

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