दैनिक सांध्य बन्धु नई दिल्ली (एजेंसी)। सुप्रीम कोर्ट ने कांग्रेस विधायक और नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार के खिलाफ दर्ज एफआईआर को लेकर मध्यप्रदेश पुलिस की अपील खारिज कर दी है। यह मामला वैवाहिक उत्पीड़न, दुष्कर्म और अन्य गंभीर धाराओं में दर्ज हुआ था। हालांकि, जबलपुर हाईकोर्ट ने पहले ही एफआईआर को रद्द कर दिया था। अब सुप्रीम कोर्ट ने भी हाईकोर्ट के आदेश को बरकरार रखते हुए राज्य सरकार की अपील ठुकरा दी।
अधूरी जानकारी के चलते हाईकोर्ट ने रद्द की थी FIR
यह मामला धार जिले के नौगांव थाने का है, जहां 2022 में सिंघार की पत्नी ने शिकायत दर्ज कराई थी। शिकायत में आईपीसी की धाराएँ 294, 323, 376(2)(n), 377, 498-A और 506 लगाई गई थीं। आरोपों में मारपीट, यौन शोषण और मानसिक प्रताड़ना तक का जिक्र था।
हाईकोर्ट ने सुनवाई के दौरान पाया कि शिकायत में समय, तारीख और जगह जैसी अहम जानकारियों का स्पष्ट उल्लेख नहीं था। इसके अलावा, धारा 498-A (दहेज प्रताड़ना) लगाने के लिए कोई ठोस आरोप सामने नहीं आया। कोर्ट ने यह भी माना कि पति-पत्नी दोनों ने एक-दूसरे के खिलाफ कई मुकदमे दर्ज किए थे, जिससे यह मामला व्यक्तिगत और राजनीतिक विवाद अधिक प्रतीत हुआ।
सुप्रीम कोर्ट का फैसला
सुप्रीम कोर्ट की बेंच — CJI बी. आर. गवई, जस्टिस के. विनोद चंद्रन और जस्टिस ए. एस. चंदूरकर — ने हाईकोर्ट के फैसले को सही ठहराया। राज्य सरकार ने दलील दी कि एफआईआर रद्द करना गलत था, लेकिन शीर्ष अदालत ने इस तर्क को खारिज कर दिया और कहा कि इस मामले में दखल की कोई जरूरत नहीं है।
पत्नी ने लगाए थे गंभीर आरोप
साल 2022 में उमंग सिंघार की पत्नी प्रतिभा मुदगल ने उन पर दहेज प्रताड़ना, दुष्कर्म, मानसिक और शारीरिक उत्पीड़न के आरोप लगाए थे। उन्होंने यहां तक कहा था कि सिंघार ने उन्हें बालकनी से लटकाने जैसी हरकतें भी कीं। हालांकि, हाईकोर्ट और अब सुप्रीम कोर्ट ने पाया कि शिकायत में पुख्ता तथ्य और स्पष्ट जानकारी की कमी है।
इस फैसले के बाद सिंघार के खिलाफ दर्ज एफआईआर रद्द ही रहेगी।
