दैनिक सांध्य बन्धु भोपाल। मध्य प्रदेश की राजनीति में हलचल मचाने वाला एक और मामला सामने आया है। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के विधायक संजय पाठक पर आदिवासी समुदाय की जमीनों को अवैध तरीके से खरीदने का गंभीर आरोप लगा है। इस संबंध में राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति कल्याण आयोग ने जांच शुरू कर दी है और पांच जिलों के कलेक्टरों को नोटिस जारी कर विस्तृत जानकारी मांगी है।
सामाजिक कार्यकर्ता दिव्यांशु मिश्रा (अंशु) की शिकायत के आधार पर यह कार्रवाई हुई है। आरोप है कि संजय पाठक और उनके परिवार ने चार गरीब आदिवासियों के नाम का दुरुपयोग कर लगभग 1173 एकड़ आदिवासी भूमि पांच जिलों में खरीदी। आदिवासी समुदाय के लिए यह जमीन उनकी आजीविका और सांस्कृतिक पहचान का आधार मानी जाती है।
आयोग ने जिला कलेक्टरों को निर्देश दिए हैं कि वे सभी खरीद-फरोख्त से जुड़े दस्तावेज और लेन-देन का पूरा ब्यौरा उपलब्ध कराएं। साथ ही चेतावनी दी है कि समय पर जवाब नहीं मिलने की स्थिति में आयोग सिविल कोर्ट की तरह सम्मन जारी करेगा।
आदिवासी जमीन का मामला पहले से ही मध्य प्रदेश में संवेदनशील विषय है। नियमों के अनुसार गैर-आदिवासी लोगों द्वारा ऐसी जमीन खरीदने पर सख्त प्रतिबंध है। इस प्रकरण ने न केवल संजय पाठक की छवि को झटका दिया है, बल्कि भाजपा के लिए भी यह बड़ा सियासी मुद्दा बन सकता है।
इस बीच, पाठक के खिलाफ चल रहे अवैध खनन मामले में भी नया मोड़ आया है। बताया जा रहा है कि उनके एक करीबी रिश्तेदार ने हाई कोर्ट के जज को फोन किया, जिसके बाद विवाद गहरा गया। इस घटना के बाद न केवल उनके वकीलों ने, बल्कि कई अन्य अधिवक्ताओं ने भी उनका केस लड़ने से इंकार कर दिया।
फिलहाल संजय पाठक की ओर से कोई आधिकारिक बयान सामने नहीं आया है। लेकिन लगातार सामने आ रहे विवाद और आयोग की जांच ने उनके राजनीतिक करियर पर खतरे के बादल मंडरा दिए हैं। अब सभी की निगाहें आयोग की आगामी कार्रवाई पर टिकी हैं।
