दैनिक सांध्य बन्धु पटना (एजेंसी)। बिहार विधानसभा चुनाव के दूसरे और अंतिम चरण के लिए नामांकन की प्रक्रिया सोमवार को समाप्त हो गई। चुनाव आयोग के अनुसार, पहले चरण के लिए कुल 1,314 उम्मीदवार मैदान में हैं, जबकि 300 से अधिक प्रत्याशियों के पर्चे खारिज हो चुके हैं और 61 ने नाम वापस ले लिया है। 243 सदस्यीय विधानसभा की 121 सीटों पर 6 नवंबर और बाकी 122 सीटों पर 11 नवंबर को मतदान होगा। दूसरे चरण के प्रत्याशियों की स्थिति 23 अक्टूबर तक साफ होगी।
इस बार बिहार चुनाव में सबसे बड़ा राजनीतिक बदलाव यह है कि पहली बार न तो एनडीए और न ही इंडिया गठबंधन (महागठबंधन) ने मुख्यमंत्री का चेहरा घोषित किया है। दोनों गठबंधनों में सीएम फेस को लेकर खींचतान जारी है और कोई संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस भी नहीं हुई।
महागठबंधन के भीतर सीट बंटवारे को लेकर खींचतान स्पष्ट रूप से दिखाई दी। आरजेडी ने नॉमिनेशन की अंतिम तारीख से महज सात घंटे पहले 143 उम्मीदवारों की सूची जारी की। विकासशील इंसान पार्टी (वीआईपी) के कारण गठबंधन के कुल उम्मीदवारों की संख्या 243 सीटों पर 254 तक पहुंच गई। आरजेडी ने 143, कांग्रेस ने 61, सीपीआई(एमएल) ने 20, सीपीआई ने 9, सीपीएम ने 6 और वीआईपी ने 15 प्रत्याशी उतारे हैं। इनमें 12 सीटों पर सहयोगी दल एक-दूसरे के खिलाफ मैदान में हैं।
वहीं, एनडीए में भाजपा, जेडीयू, लोजपा (रामविलास), हम और आरएलएम शामिल हैं। जेडीयू की सीटें घटाई गईं ताकि भाजपा को बराबर या उससे अधिक सीटें मिल सकें। इससे गठबंधन के भीतर शक्ति-संतुलन बदला है। वीआईपी के इंडिया में आने से निषाद वोटों पर असर पड़ सकता है, जबकि चिराग पासवान की पार्टी लोजपा (रामविलास) को फायदा मिला है, जिसे 29 सीटें मिली हैं।
महागठबंधन के भीतर कांग्रेस और वामपंथी दलों के बीच सीट शेयरिंग पर असंतोष बना रहा। पिछली बार कांग्रेस को 66 सीटें मिली थीं, जबकि इस बार वह 61 पर सीमित है। वहीं, सीपीआई(एमएल) को पिछली बार के अच्छे प्रदर्शन के चलते 20 सीटें दी गई हैं।
इस चुनाव में कुल 74 राजनीतिक दल मैदान में हैं। इनमें प्रमुख दलों के साथ प्रशांत किशोर की जन सुराज पार्टी और आम आदमी पार्टी भी सभी 243 सीटों पर चुनाव लड़ रही हैं।
महिलाओं को टिकट देने में आरजेडी सबसे आगे रही है। पार्टी ने 24 महिला उम्मीदवार उतारे हैं, जबकि कांग्रेस ने 5, जेडीयू और भाजपा ने 13-13 तथा लोजपा (रामविलास) ने 6 महिलाओं को टिकट दिए हैं।
आरजेडी ने जातीय समीकरण को ध्यान में रखते हुए 51 यादव, 19 मुसलमान, 14 सवर्ण और 11 कुशवाहा प्रत्याशियों को मैदान में उतारा है। पिछली बार की तुलना में कुशवाहा समुदाय पर पार्टी का फोकस बढ़ा है।
एनडीए की ओर से टिकट वितरण में फॉरवर्ड जातियों का वर्चस्व दिखा है। 243 में से 162 प्रत्याशी सवर्ण और ओबीसी तबके से हैं, जिनमें से 85 फॉरवर्ड वर्ग से हैं। यानी 10.56% आबादी वाले फॉरवर्ड समाज को 35% टिकट दिए गए हैं।
20 साल की सत्ता के बाद एनडीए एंटी-इनकंबेंसी का सामना कर रहा है, जबकि विपक्ष की फूट उसे राहत दे सकती है। दोनों गठबंधन बिना घोषित चेहरे और एकजुट रणनीति के मैदान में हैं — ऐसे में इस बार बिहार की सियासत का मुकाबला पहले से कहीं अधिक दिलचस्प हो गया है।