दैनिक सांध्य बन्धु जबलपुर। पढ़ाई के लिए जबलपुर में रह रही 17 वर्षीय छात्रा हर्षिता का शव 150 किलोमीटर दूर गाडरवारा के पास रेलवे ट्रैक पर मिलने से सनसनी फैल गई है। छात्रा शनिवार शाम से लापता थी और रविवार देर रात उसका शव नरसिंहपुर जिले के सालीचौका क्षेत्र में मिला।
हर्षिता जबलपुर के श्रीनाथ की तलैया क्षेत्र में अपनी बुआ के घर रहकर कक्षा 12वीं की पढ़ाई कर रही थी। शनिवार शाम 5 बजे कोचिंग जाने के लिए निकली, लेकिन रात तक घर नहीं लौटी। चिंतित परिजनों ने लार्डगंज थाने में गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज कराई।
रविवार रात सालीचौका रेलवे ट्रैक के पास शव मिलने की सूचना पर पुलिस मौके पर पहुंची। मौके से छात्रा का बैग और एक सुसाइड नोट बरामद हुआ, जिसमें लिखा था मेरे कारण सब परेशान थे, मैं अब जा रही हूं, कभी नहीं लौटूंगी, सब खुश रहना।
बैग में मिले मोबाइल नंबर से संपर्क कर बुआ के परिवार को वीडियो कॉल के जरिए शव की पहचान कराई गई। इसके बाद परिजन सालीचौका पहुंचे।
छात्रा गोसलपुर के सिलुआ गांव की रहने वाली थी। पुलिस ने सुसाइड नोट और मोबाइल फोन जब्त कर मामले की जांच शुरू कर दी है।
भाई को कोचिंग में नहीं मिली बहन
शनिवार शाम 7:30 बजे हर्षिता का बड़ा भाई उसे कोचिंग से लेने पहुंचा, जहां उसे बताया गया कि हर्षिता उस दिन कोचिंग आई ही नहीं थी। परिजनों ने रातभर उसकी तलाश की लेकिन कोई सुराग नहीं मिला।
पोस्टमार्टम रिपोर्ट से खुलेगा राज
पुलिस ने शव का पंचनामा कर पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया है। रिपोर्ट आने के बाद ही मौत के सही कारणों का पता चल सकेगा। फिलहाल पुलिस आत्महत्या और हत्या दोनों कोणों से जांच कर रही है।
आज होगा अंतिम संस्कार
हर्षिता का अंतिम संस्कार सोमवार को उसके गृह ग्राम गोसलपुर में किया जाएगा। पुलिस यह भी जांच कर रही है कि छात्रा जबलपुर से करीब 150 किमी दूर गाडरवारा तक कैसे पहुंची।
परिजनों ने हत्या का आरोप लगाया
परिजनों ने आत्महत्या की थ्योरी पर सवाल उठाए हैं। उनका कहना है कि हर्षिता आत्महत्या नहीं कर सकती। उनका आरोप है कि उससे दबाव में सुसाइड नोट लिखवाया गया और फिर हत्या कर शव रेलवे ट्रैक पर फेंक दिया गया। उनका कहना है कि शव पर चोट के निशान भी पाए गए हैं।
पुलिस पर लापरवाही का आरोप
परिजनों ने यह भी आरोप लगाया कि जब उन्होंने शनिवार शाम को लापता होने की सूचना दी, तब लार्डगंज थाना पुलिस ने मामले को गंभीरता से नहीं लिया। परिवार का कहना है कि यदि समय पर कार्रवाई होती, तो शायद हर्षिता की जान बचाई जा सकती थी।