दैनिक सांध्य बन्धु (एजेंसी) पटना। बिहार विधानसभा चुनाव में महागठबंधन ने अपने घोषणा पत्र के जरिए बड़ा दांव चला है। बुधवार को तेजस्वी यादव ने ‘बिहार का तेजस्वी प्रण’ नाम से संकल्प पत्र जारी करते हुए हर घर से एक सदस्य को सरकारी नौकरी देने का वादा किया। तेजस्वी ने कहा कि महागठबंधन की सरकार बनने पर 20 महीने के भीतर इस वादे को पूरा किया जाएगा और इसके लिए 20 दिन के भीतर विशेष अधिनियम बनाया जाएगा।
घोषणा पत्र में राज्य के विकास के लिए कई बड़े प्रावधानों का उल्लेख किया गया है। इनमें पांच एक्सप्रेस-वे बनाने, 200 यूनिट मुफ्त बिजली देने, और 8वीं से 12वीं तक के गरीब छात्रों को मुफ्त टैबलेट उपलब्ध कराने की योजना शामिल है। इसके साथ ही पेपर लीक रोकने के लिए कठोर कानून, सहारा इंडिया के निवेशकों का पैसा वापस कराने के लिए SIT गठन, महिला कॉलेजों और 136 नए डिग्री कॉलेजों की स्थापना, हर व्यक्ति को 25 लाख रुपये तक का मुफ्त स्वास्थ्य बीमा, मनरेगा मजदूरी ₹300 और काम के दिन 200 करने का वादा भी किया गया है।
घोषणा पत्र में पिछड़ा वर्ग, अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षण बढ़ाने और उसे नौवीं अनुसूची में शामिल करने का प्रस्ताव भी रखा गया है।
प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान तेजस्वी यादव के साथ कांग्रेस के राज्यसभा सांसद अखिलेश सिंह और राष्ट्रीय प्रवक्ता पवन खेड़ा मौजूद थे, लेकिन बिहार कांग्रेस प्रभारी कृष्णा अल्लावरू और प्रदेश अध्यक्ष राजेश राम मंच पर नजर नहीं आए। इस अनुपस्थिति ने राजनीतिक गलियारों में कई तरह की चर्चाएं तेज कर दी हैं।
घोषणा पत्र जारी करते हुए तेजस्वी यादव ने कहा कि हमारा लक्ष्य सिर्फ सरकार बनाना नहीं है, बल्कि बिहार को नए सिरे से बनाना है। उन्होंने नीतीश कुमार पर तंज कसते हुए कहा कि “बीजेपी और भ्रष्ट अधिकारियों ने उन्हें पुतला बना दिया है। उनके चेहरे का इस्तेमाल किया जा रहा है।” तेजस्वी ने दावा किया कि महागठबंधन में मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री का चेहरा स्पष्ट है, जबकि एनडीए में इस पर कोई स्पष्टता नहीं है।
तेजस्वी का यह घोषणा पत्र युवाओं, किसानों, महिलाओं और गरीब परिवारों को ध्यान में रखकर तैयार किया गया है।
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