दैनिक सांध्य बन्धु जबलपुर। आज मंगलवार को जबलपुर में विश्व हिंदू परिषद (विहिप) और अनुसूचित जनजाति सम्मेलन के आयोजक आमने–सामने आ गए। दोनों पक्षों ने एक–दूसरे के खिलाफ पुलिस में शिकायतें दर्ज कराईं और ज्ञापन सौंपे। स्थिति तब और तनावपूर्ण हो गई, जब विहिप कार्यकर्ताओं को यह जानकारी मिली कि कार्यक्रम के आयोजक ओमती थाने में उनके खिलाफ शिकायत दर्ज करा रहे हैं। सूचना मिलते ही विहिप कार्यकर्ता थाने पहुँच गए और कथित रूप से आयोजकों पर हमला कर दिया।
फिलहाल ओमती थाना परिसर में अनुसूचित जनजाति सम्मेलन के आयोजक धरने पर बैठे हुए हैं और विहिप कार्यकर्ताओं पर कार्रवाई की मांग कर रहे हैं।
कैसे शुरू हुआ विवाद? दो किताबों ने भड़काया माहौल
रविवार को मानस भवन में आयोजित ‘अनुसूचित जाति–जनजाति सम्मेलन’ के दौरान विवाद उस समय उभरा, जब दो किताबों—“सच्ची रामायण” और “पोल खोल पुराण”—को लेकर हिंदूवादी संगठनों ने आपत्ति जताई।
विहिप कार्यकर्ताओं का आरोप है कि इन पुस्तकों में भगवान राम, माता सीता, हनुमान जी सहित कई हिंदू देवी–देवताओं और पुराणों के बारे में अपमानजनक और अश्लील टिप्पणियाँ लिखी गई थीं।
कार्यक्रम स्थल पर बुक स्टॉल पर लगी इन किताबों को जब विहिप के युवा कार्यकर्ताओं ने खरीदा और उनकी सामग्री देखी, तो वे भड़क उठे। इसी दौरान उन्होंने किताब बेचने वाले युवक से मारपीट कर दी। विवाद बढ़ते ही कार्यक्रम में मौजूद कई लोग विहिप कार्यकर्ताओं के खिलाफ हो गए और भीड़ ने उन्हें दौड़ा–दौड़ाकर पीटना शुरू कर दिया।
पुलिस ने किसी तरह बीच–बचाव कर दोनों पक्षों को अलग किया और स्थिति को संभाला।
वीडियो हुआ वायरल, भीड़ ने फिर किया हमला
सोमवार को घटना का एक और वीडियो सामने आया, जिसमें 2–3 विहिप कार्यकर्ताओं को भीड़ दौड़ाकर पीटते हुए दिखाई दे रही है। वीडियो में यह भी देखा गया कि पुलिसकर्मी घायल कार्यकर्ताओं को बचाकर एक ऑटो में बैठाने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन भीड़ ऑटो का पीछा करती रही। किसी तरह पुलिस उन्हें सुरक्षित स्थान तक ले जा पाई।
पुलिस में शिकायत
रविवार शाम मामला विहिप व बजरंग दल के अन्य कार्यकर्ताओं तक पहुंचा। इसके बाद कार्यकर्ता थाने पहुंचकर किताब बेचने वालों के खिलाफ कार्रवाई की मांग करने लगे।
पुलिस ने जांच के बाद बुकसेलर प्रदीप कुशवाहा सहित अन्य लोगों के खिलाफ आपत्तिजनक किताबें बेचने और धार्मिक भावनाएं आहत करने का मामला दर्ज किया है।
साथ ही उन अज्ञात लोगों पर भी एफआईआर की गई है जिन्होंने विहिप कार्यकर्ताओं के साथ मारपीट की।
विहिप का आरोप—“कथित गैंग बनाकर फैलाई जा रही हैं ऐसी किताबें”
विहिप के अनूप ठाकुर, जिनके साथ मारपीट की गई, ने आरोप लगाया कि शहर में लगातार ऐसी किताबें स्टॉल पर बेची जा रही हैं जिनका उद्देश्य हिंदू समाज को भड़काना है।
उन्होंने कहा कि “पहले भी ‘सच्ची रामायण’ पर एफआईआर दर्ज हो चुकी है, लेकिन इसके बावजूद लोग बार–बार ये किताबें बेच रहे हैं।”
विहिप का दावा है कि कुछ लोग एक संगठित “गैंग” की तरह अलग–अलग आयोजनों में हिंदू विरोधी साहित्य बेचने की कोशिश कर रहे हैं।
आयोजकों का पलटवार—“हम पर हमले हुए”
दूसरी ओर अनुसूचित जनजाति सम्मेलन के आयोजकों ने पूरी तरह अलग आरोप लगाए। सम्राट अशोक क्रांति सेना के संस्थापक वृंदावन वर्मा ने कहा कि स्टॉल पर संविधान की किताबें भी रखी थीं, जिनकी प्रतियां कुछ युवकों ने फाड़ दीं। इसके बाद किताब बेचने वाले युवक पर हमला किया गया। जब उनके कार्यकर्ता बचाने के लिए आए, तो उन पर भी हमला किया गया। वर्मा ने यह भी दावा किया कि हमलावरों के पास चाकू भी था, जिसे उनके कार्यकर्ताओं ने छीन लिया। उन्होंने निष्पक्ष जांच की मांग की।
विहिप–आयोजकों में नया विवाद: ज्ञापन से लेकर भिड़ंत तक
आज मंगलवार को नए सिरे से विवाद तब भड़का जब विहिप के कार्यकर्ता पुलिस अधीक्षक कार्यालय में अपना ज्ञापन सौंप रहे थे। तभी उन्हें पता चला कि अनुसूचित जनजाति सम्मेलन के आयोजक ओमती थाने में उनके खिलाफ शिकायत दर्ज करा रहे हैं। यह सूचना मिलते ही विहिप कार्यकर्ता सीधे थाने पहुंचे और आरोप है कि वहाँ आयोजकों पर हमला कर दिया। इस घटना के बाद आयोजक ओमती थाने में ही धरने पर बैठ गए और विहिप कार्यकर्ताओं पर कड़ी कार्रवाई की मांग की।


