दैनिक सांध्य बन्धु जबलपुर। बरेला तहसील के ग्राम हिनोतिया में पिछले कई दिनों से सरकारी भूमि पर बसे बंजारा परिवारों को लेकर चल रहा विवाद मंगलवार को एक नए मोड़ पर पहुंच गया। जहाँ एक ओर कुछ संगठनों द्वारा इन परिवारों को घुसपैठिया या रोहिंग्या बताने के आरोप लगाए जा रहे थे, वहीं अब स्वयं बंजारा परिवारों ने शिव मंदिर पहुँचकर पूजा-अर्चना की और बताया कि वे सनातन धर्म से प्रभावित हैं।
जमीन और पहचान को लेकर बना विवाद
हिनोतिया के बीहड़ क्षेत्र में सरकारी जमीन पर बसे इन परिवारों की पहचान को लेकर हाल ही में विवाद गहराया। कुछ हिंदूवादी संगठनों ने आरोप लगाया कि ये लोग वास्तविक बंजारा नहीं, बल्कि बाहरी समुदाय से हैं। सोमवार को इस मुद्दे पर मामला थाने तक पहुंच गया था और स्थानीय स्तर पर तनाव की स्थिति बन रही थी।
शिव मंदिर में पूजा-अर्चना के साथ शुद्धिकरण का आयोजन
मंगलवार दोपहर खमरिया स्थित शिव मंदिर में अंतरराष्ट्रीय हिंदू परिषद और राष्ट्रीय बजरंग दल के बैनर तले कार्यक्रम आयोजित किया गया। इसमें हिनोतिया के बंजारा परिवारों ने पूजा-अर्चना की।
कार्यक्रम में परिवारों का शुद्धिकरण किए जाने का दावा भी किया गया, जिसके बाद उन्होंने मंदिर में पूजन किया। आयोजकों ने बताया कि यह पूरी प्रक्रिया परिवारों की स्वेच्छा से हुई।
परिवारों का कहना—‘सनातन धर्म से प्रभावित थे’
मौके पर मौजूद पप्पू खान बंजारा—जो स्वयं को वर्षों से बंजारा समुदाय का सदस्य बताते हैं—ने कहा कि उनका परिवार और पूरा डेरा लंबे समय से सनातन परंपराओं से प्रभावित था।
उन्होंने बताया कि पहले वे भेड़–बकरी पालन कर जीवन यापन करते थे, लेकिन अब आधुनिक शिक्षा और स्थायी जीवनशैली अपनाने की इच्छा रखते हैं।
अंतरराष्ट्रीय हिंदू परिषद की प्रीति धनधोरिया ने कहा कि कार्यक्रम में शामिल परिवारों ने अपनी इच्छा से मंदिर में पूजा की और वे अब सनातन परंपराओं का पालन करना चाहते हैं। संगठन का दावा है कि लगभग 15 परिवार पहले अपने नाम में 'बंजारा' लिखने लगे थे और अब खुले तौर पर धर्म अपनाने की बात कह रहे हैं।
हालाँकि स्थानीय प्रशासन की ओर से इस संबंध में किसी आधिकारिक पुष्टि की जानकारी अब तक सामने नहीं आई है। न ही इन परिवारों की पूर्व धार्मिक पहचान को लेकर किसी सरकारी दस्तावेज पर टिप्पणी की गई है।
विवाद के शांत होने की उम्मीद
इस घटनाक्रम के बाद माना जा रहा है कि बीते दिनों से चल रहा तनाव कुछ हद तक कम हो सकता है। हालांकि विरोधी पक्ष अब भी इस मामले को लेकर सवाल उठा रहा है। प्रशासन स्थिति पर नजर बनाए हुए है और जल्द ही जमीन के विवाद तथा बस्ती की वैधता पर भी निर्णय आने की संभावना जताई जा रही है।