दैनिक सांध्य बन्धु जबलपुर। जबलपुर से लगभग 25 किलोमीटर दूर हिनोतिया गांव में सरकारी भूमि पर लंबे समय से रह रहे 200 से अधिक लोगों को लेकर विवाद खड़ा हो गया है। विश्व हिंदू परिषद (विहिप) और बजरंग दल ने आरोप लगाया है कि यहां कथित तौर पर रोहिंग्या और बांग्लादेशी मूल के लोग बसे हुए हैं, जो फर्जी दस्तावेजों के आधार पर रहने के साथ सरकारी योजनाओं का लाभ भी उठा रहे हैं। संगठनों ने प्रशासन को 27 नवंबर तक कार्रवाई करने का अल्टीमेटम दिया है, अन्यथा आंदोलन की चेतावनी दी गई है।
एसआईआर जांच में सामने आए संदिग्ध दस्तावेज
एसआईआर प्रक्रिया के दौरान बीएलओ को जानकारी मिली कि गांव के बाहर बड़ी संख्या में लोग डेरा जमाकर रह रहे हैं। टीम जब वहां पहुंची तो उन्होंने दस्तावेज दिखाने से इनकार कर दिया। सूचना हिंदूवादी संगठनों तक पहुंची तो विहिप और बजरंग दल के नेता बड़ी संख्या में पुलिस थाने पहुंचे और संदिग्ध लोगों पर कार्रवाई की मांग उठाई।
विहिप विभाग प्रमुख सुमित सिंह ठाकुर ने दावा किया कि यहां रह रहे कुछ लोगों के पास एक से अधिक — छिंदवाड़ा, जबलपुर और मझौली — के आधार कार्ड मिले हैं। उनकी बोली भी बांग्लादेशी और रोहिंग्या समुदाय जैसी बताई जा रही है।
कई वोटर आईडी और अलग-अलग जिलों के दस्तावेज मिलने का आरोप
संगठन का दावा है कि डेरों में रहने वाले सैकड़ों लोगों के पास तीन-तीन वोटर आईडी और विभिन्न जिलों के दस्तावेज मिले हैं। आरोप है कि फर्जी दस्तावेजों के आधार पर सरकारी लाभ लेने के साथ-साथ ये लोग संख्या भी लगातार बढ़ा रहे हैं, जो सुरक्षा और लोकतांत्रिक प्रक्रिया के लिए खतरा है।
नेताओं ने गांव के सरपंच पर भी गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि उसने सरकारी जमीन पर इन लोगों को बसाने और संरक्षण देने में भूमिका निभाई है।
27 नवंबर तक कार्रवाई का अल्टीमेटम
विहिप और बजरंग दल ने जिला प्रशासन को ज्ञापन सौंपते हुए कहा कि यदि 27 नवंबर तक अवैध कब्जों पर कार्रवाई नहीं होती, तो कार्यकर्ता स्वयं मौके पर जाकर डेरों को हटाने की कार्रवाई करेंगे।
सुमित सिंह ठाकुर ने कहा, “यह लोग धीरे-धीरे अपनी संख्या बढ़ा रहे हैं। यदि प्रशासन कार्रवाई नहीं करता, तो हमारे कार्यकर्ता डेरा उखाड़ फेंकेंगे।”
दस्तावेजों की विधिवत जांच जारी
एडिशनल एसपी अंजना तिवारी ने कहा कि सभी आरोपों और दस्तावेजों की विधिवत जांच की जा रही है।
उन्होंने स्पष्ट किया पहचान, दस्तावेजों की सत्यता और कब्जे से जुड़े तथ्यों की जांच के बाद ही आगे की कार्रवाई होगी। यदि कोई व्यक्ति अवैध रूप से रह रहा है या फर्जी दस्तावेजों का उपयोग कर रहा है, तो सख्त कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
तहसीलदार ने पहले ही नोटिस जारी कर सरकारी भूमि को खाली करने के निर्देश दिए हैं।