दैनिक सांध्य बन्धु जबलपुर। जबलपुर में चल रहे SIR (Summary Revision) सर्वे के दौरान बड़ी संख्या में संदिग्ध व्यक्तियों के मिलने का मामला अब राजनीतिक रूप से भी गरमा गया है। पाटन विधानसभा से भाजपा विधायक एवं पूर्व मंत्री अजय विश्नोई ने दावा किया है कि अब तक 1200 से अधिक संदिग्ध व्यक्ति सर्वे के दौरान सामने आ चुके हैं। इस गंभीर मुद्दे पर उन्होंने मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर विस्तृत जांच की मांग की है।
संदिग्धों की पहचान, नागरिकता को लेकर उठे सवाल
विश्नोई ने कहा कि सर्वे में जिन लोगों को संदिग्ध पाया गया है, उनकी सघन जांच आवश्यक है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि वे विदेशी नागरिक तो नहीं।
उन्होंने आशंका जताई कि यदि अकेले जबलपुर में 1200 ऐसे व्यक्ति मिल सकते हैं, तो पूरे मध्य प्रदेश में इनकी संख्या कहीं अधिक हो सकती है।
IPC 109/BNSS 128 पर लगी रोक को बताया कारण
विधायक ने आरोप लगाया कि लगभग 12 साल पहले तत्कालीन डीजीपी ने IPC की धारा 109 (अब BNSS धारा 128) के उपयोग पर रोक लगा दी थी।
इस धारा के तहत पुलिस को किसी भी संदिग्ध व्यक्ति को रोककर पूछताछ करने का अधिकार होता है।
विश्नोई का कहना है कि इस रोक के कारण पुलिस संदिग्ध व्यक्तियों की उचित जांच नहीं कर पा रही है।
एक्स पर भी जताई चिंता
उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म 'एक्स' पर लिखा कि SIR में मिल रहे संदिग्ध व्यक्तियों की सघन जांच कर सुनिश्चित किया जाए कि वे विदेशी नागरिक न हों। यह शासन का दायित्व है। पिछले 12 वर्षों से DGP के आदेश के कारण पुलिस IPC 109/BNSS 128 का उपयोग नहीं कर पा रही है।
अवैध निवासियों को वापस भेजने की मांग
विश्नोई ने कहा कि मतदाता सूची में संदिग्ध पाए जा रहे लोग सिर्फ वोटर लिस्ट तक सीमित मुद्दा नहीं, बल्कि नागरिकता से जुड़ा बड़ा प्रश्न है।
यदि कोई व्यक्ति अवैध रूप से भारत में रह रहा है, तो उसे वापस भेजा जाना चाहिए।
सरकार से कार्रवाई की मांग
पूर्व मंत्री ने मुख्यमंत्री (जो गृह मंत्री भी हैं) से आग्रह किया है कि BNSS 128 के उपयोग पर लगी रोक हटाई जाए।पुलिस को संदिग्ध व्यक्तियों की स्वतंत्र रूप से जांच करने का अधिकार दिया जाए। अवैध विदेशी नागरिकों की पहचान कर उन्हें देश से बाहर भेजा जाए
विश्नोई ने दावा किया कि 1200 मामलों की जानकारी उनके पास है, और यह संख्या पूरे प्रदेश में बहुत अधिक हो सकती है।
