दैनिक सांध्य बन्धु भोपाल। ब्राह्मण बेटियों पर विवादित टिप्पणी के बाद अब IAS संतोष वर्मा ने हाईकोर्ट पर गंभीर आरोप लगाकर नया बवाल खड़ा कर दिया है। अजाक्स के सम्मेलन में वर्मा ने कहा कि एससी-एसटी वर्ग के बच्चों को सिविल जज बनने से “कोई और नहीं, बल्कि हाईकोर्ट ही रोक रहा है”। उनका यह बयान सामने आते ही प्रदेश में राजनीतिक और सामाजिक माहौल और गरमा गया है।
वर्मा ने दावा किया कि ज्यूडिशियल परीक्षाओं में एससी-एसटी वर्ग के योग्य उम्मीदवार जानबूझकर फेल कर दिए जाते हैं। आरोप लगाया कि परीक्षाओं में कटऑफ 50% रखा जाता है और एससी-एसटी युवाओं को जानबूझकर 49.95 नंबर दिए जाते हैं, ताकि वे चयनित न हो सकें। इंटरव्यू में भी इसी तरह 20 के बजाय 19.5 अंक दिए जाते हैं। उन्होंने आगे कहा कि “जब हमारा समाज सिविल जज ही नहीं बन पाएगा तो आगे हाईकोर्ट जज बनने की उम्मीद कैसे करेंगे? यही हमारी आखिरी पीढ़ी है, जिसे लड़ना होगा।”
इस बयान से पहले ही ब्राह्मण समाज और सवर्ण संगठनों में भारी नाराजगी थी, लेकिन अब गुस्सा और बढ़ गया है। संतोष वर्मा के खिलाफ कार्रवाई न होने से आक्रोशित सवर्ण समाज ने 14 दिसंबर को मुख्यमंत्री निवास घेराव का ऐलान कर दिया है। सोशल मीडिया पर ‘ऑपरेशन बगावत’ और ‘ऑपरेशन अस्मिता’ के नाम से बड़ी संख्या में लोगों को भोपाल पहुंचने की अपील की जा रही है।
सवर्ण समाज ने बेटियों के अपमान का मुद्दा उठाते हुए कहा है कि संतोष वर्मा जैसे अधिकारियों को तुरंत सजा दी जाए और एससी-एसटी एक्ट जैसे “काले कानूनों” को समाप्त किया जाए। संगठनों का कहना है कि अफसर संवैधानिक मर्यादाओं का उल्लंघन कर रहे हैं और सरकार कार्रवाई से बच रही है।
उधर सनातन प्रचारक हर्षा रिछारिया ने वर्मा के बयानों पर तीखी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि “अगर हर घर से संतोष वर्मा निकलेगा, तो हर ब्राह्मण परिवार से दुर्गा और काली निकलेगी, फिर भारत में महाभारत होगा।” उन्होंने कहा कि बेटी किसी जाति की नहीं होती, और बेटियों पर टिप्पणी करके वर्मा किस तरह की सोच दिखा रहे हैं, यह समझ से परे है।
इधर मंत्रालय अधिकारी-कर्मचारी सेवा संघ ने भी डिप्टी सीएम को ज्ञापन सौंपकर कार्रवाई की मांग तेज की है। बताया जा रहा है कि 11 दिसंबर को सर्व-ब्राह्मण संगठनों की अहम बैठक भोपाल में होगी, जिसमें आंदोलन की रूपरेखा को अंतिम रूप दिया जाएगा।
IAS संतोष वर्मा के लगातार विवादित बयानों से प्रदेश में माहौल तनावपूर्ण होता जा रहा है और अब मामला सीधे सामाजिक और राजनीतिक टकराव की ओर बढ़ता दिख रहा है।
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