यूपी में SIR का असर: 2.89 करोड़ वोटर्स के नाम कटे, 31 दिसंबर को आएगी ड्राफ्ट वोटर लिस्ट

दैनिक सांध्य बन्धु लखनऊ। उत्तर प्रदेश में वोटर लिस्ट के विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) की प्रक्रिया पूरी हो चुकी है। इस दौरान प्रदेश में कुल 2.89 करोड़ मतदाताओं के नाम मतदाता सूची से हटाए गए हैं। मुख्य निर्वाचन अधिकारी नवदीप रिणवा ने बताया कि SIR से पहले यूपी में 15 करोड़ 44 लाख मतदाता दर्ज थे। 26 दिसंबर को पहले चरण के तहत गणना पत्रों के जमा और डिजिटलाइजेशन का काम पूरा हुआ, जिसके बाद मतदाताओं की संख्या में यह बड़ी कमी सामने आई है। अब 31 दिसंबर को फाइनल ड्राफ्ट वोटर लिस्ट जारी की जाएगी।

सूत्रों के मुताबिक, नाम कटने की प्रमुख वजहों में 1.26 करोड़ मतदाताओं का यूपी से बाहर परमानेंट शिफ्ट होना, 45.95 लाख मतदाताओं की मृत्यु, 23.32 लाख डुप्लीकेट नाम, 84.20 लाख लापता मतदाता और 9.37 लाख लोगों का गणना पत्र जमा न करना शामिल है। हालांकि, SIR की अवधि 15 दिन बढ़ाए जाने के कारण करीब दो लाख मतदाता दोबारा जुड़े भी हैं।

इससे पहले देश के 11 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की SIR ड्राफ्ट वोटर लिस्ट सामने आ चुकी है, जिनमें कुल 3.69 करोड़ वोटर्स के नाम हटाए गए। इनमें मध्य प्रदेश से 42.74 लाख, छत्तीसगढ़ से 27.34 लाख, केरल से 24.08 लाख, पश्चिम बंगाल से 58.20 लाख, राजस्थान से 41.85 लाख, तमिलनाडु से 97 लाख, गुजरात से 73 लाख, गोवा से 11.85 लाख, अंडमान-निकोबार से 3.10 लाख, पुडुचेरी से 1.03 लाख और लक्षद्वीप से 1,616 नाम हटाए गए हैं।

यूपी में SIR की समय-सीमा को लेकर भी काफी चर्चा रही। राज्य निर्वाचन आयोग ने SIR का समय बढ़ाने की मांग दिल्ली चुनाव आयोग से की थी और भाजपा भी इसके पक्ष में थी, लेकिन चुनाव आयोग ने तीसरी बार अंतिम तिथि बढ़ाने से इनकार कर दिया। पहले चरण में गणना पत्र जमा करने की अंतिम तिथि 4 दिसंबर थी, जिसे पहले 7 दिन बढ़ाकर 14 जनवरी और फिर 14 दिन बढ़ाकर 26 दिसंबर किया गया।

निर्वाचन आयोग के अनुसार, 31 दिसंबर 2025 को मतदाता सूची का ड्राफ्ट प्रकाशन होगा, जिसके बाद मतदाता अपना नाम जांच सकेंगे। 31 दिसंबर 2025 से 30 जनवरी 2026 तक दावे और आपत्तियां ली जाएंगी। इसके बाद 21 फरवरी 2026 तक दावों और आपत्तियों का निस्तारण किया जाएगा और 28 फरवरी 2026 को उत्तर प्रदेश की अंतिम मतदाता सूची प्रकाशित की जाएगी। SIR के फाइनल आंकड़े आने के बाद यह साफ हो सकेगा कि शहरी और ग्रामीण इलाकों में मतदाताओं की संख्या में कितनी कमी या बढ़ोतरी हुई है।

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