दैनिक सांध्य बन्धु (एजेंसी) हरदा। मध्यप्रदेश के हरदा में करणी सेना परिवार का जनक्रांति आंदोलन रविवार को पूरे 11 घंटे तक चला और रात करीब 8 बजे राष्ट्रीय अध्यक्ष जीवन सिंह शेरपुर ने आंदोलन समाप्त करने की घोषणा की। नेहरू स्टेडियम में आयोजित इस विशाल आंदोलन में करीब 20 हजार से अधिक कार्यकर्ता और समर्थक शामिल हुए। इसे हरदा जिले का अब तक का सबसे बड़ा आंदोलन बताया जा रहा है। 21 सूत्रीय मांगों को लेकर हुए इस प्रदर्शन ने राजनीतिक हलकों में हलचल बढ़ा दी है।
आंदोलन के समापन के साथ ही करणी सेना ने बड़ा राजनीतिक ऐलान करते हुए कहा कि अब आंदोलन की बजाय राजनीतिक दल बनाकर सर्व समाज की मांगों को लोकसभा और विधानसभा में मजबूती से उठाया जाएगा। जीवन सिंह शेरपुर ने मंच से कहा कि संगठन की बातों को सदन में कोई नहीं उठाता, इसलिए अब समय आ गया है कि करणी सेना स्वयं राजनीति में उतरकर जनता की आवाज बने। उन्होंने हजारों कार्यकर्ताओं की मौजूदगी में राजनीतिक दल बनाने की घोषणा की और करणी सैनिकों से आरएसएस की तर्ज पर तन, मन और धन से संगठन को मजबूत करने का संकल्प भी दिलवाया। इसके बाद उन्होंने जूस पीकर अपना अनशन समाप्त किया।
आंदोलन के दौरान जुलाई महीने में हरदा में हुए लाठीचार्ज का मुद्दा भी प्रमुखता से उठा। शेरपुर ने बताया कि लाठीचार्ज के दोषियों में शामिल पांच पुलिसकर्मियों को हटाने के आदेश कलेक्टर द्वारा जारी कर दिए गए हैं और पूरे मामले की मजिस्ट्रियल जांच के निर्देश भी दिए गए हैं। इस जांच का नेतृत्व एसडीएम सिवनी मालवा करेंगे। करणी सेना ने इसे आंदोलन की बड़ी उपलब्धि बताया।
राजनीतिक भविष्य को लेकर राष्ट्रीय अध्यक्ष महिपाल सिंह मकराना ने स्पष्ट किया कि करणी सेना अब चुनाव लड़ेगी और अपने नए राजनीतिक दल के माध्यम से संसद और विधानसभा तक जनता की आवाज पहुंचाएगी। उन्होंने कहा कि दल का गठन संगठन के सर्वसम्मत निर्णय से किया गया है और जल्द ही उसका पंजीकरण कराया जाएगा। शेरपुर ने चेतावनी भरे लहजे में कहा कि यदि मांगों पर गंभीरता से अमल नहीं हुआ तो भोपाल के बाद दिल्ली कूच किया जाएगा और यह लड़ाई अधूरी नहीं छोड़ी जाएगी।
आंदोलन में रखी गई मांगों में न्यायिक जांच, दर्ज मामलों की वापसी, आरक्षण और भर्ती प्रक्रिया में सुधार, आर्थिक आधार पर आरक्षण, किसानों से जुड़े मुद्दे, बिजली बिल और स्मार्ट मीटर, शिक्षा व रोजगार, महिला सुरक्षा, गो-संरक्षण, पूर्व सैनिकों तथा मीडिया कर्मियों से संबंधित मांगें प्रमुख रहीं। करणी सेना का कहना है कि यह संघर्ष केवल संगठन का नहीं, बल्कि सर्व समाज के अधिकारों की लड़ाई है, जिसे अब सड़क से सदन तक ले जाया जाएगा।
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