दैनिक सांध्य बन्धु भोपाल। वर्ष 2025 के समाप्त होने से ठीक दो दिन पहले मध्यप्रदेश की मोहन सरकार ने बाजार से 3,500 करोड़ रुपये का नया कर्ज उठा लिया है। इसके साथ ही चालू वित्त वर्ष 2024-25 में सरकार द्वारा लिया गया कुल कर्ज बढ़कर 53,100 करोड़ रुपये हो गया है। यह कर्ज भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के माध्यम से 30 दिसंबर को तीन किस्तों में लिया गया, जिसका भुगतान सरकार को 31 दिसंबर से करना होगा। इससे पहले शीतकालीन सत्र की शुरुआत के दौरान भी राज्य सरकार ने बाजार से ऋण लिया था। वित्त वर्ष की शुरुआत में प्रदेश पर कुल कर्ज 4 लाख 21 हजार करोड़ रुपये था।
नए कर्ज की पहली किस्त 1,200 करोड़ रुपये की है, जो पांच साल की अवधि के लिए ली गई है। इस राशि का भुगतान ब्याज सहित 31 दिसंबर 2030 तक किया जाएगा। सरकार का कहना है कि इस धनराशि का उपयोग कृषि योजनाओं, सिंचाई परियोजनाओं, पावर प्रोजेक्ट्स और कम्युनिटी डेवलपमेंट से जुड़े कार्यों में किया जाएगा। दूसरी किस्त भी 1,200 करोड़ रुपये की है, जिसे 11 साल की अवधि के लिए लिया गया है और इसका भुगतान 31 दिसंबर 2036 तक किया जाएगा। तीसरी किस्त 1,100 करोड़ रुपये की है, जिसे 23 वर्षों की लंबी अवधि में ब्याज सहित चुकाया जाएगा।
लगातार कर्ज लिए जाने को लेकर उठ रहे सवालों पर डिप्टी सीएम और वित्त मंत्री जगदीश देवड़ा पहले ही स्पष्ट कर चुके हैं कि इसे कर्ज नहीं बल्कि निवेश के रूप में देखा जाना चाहिए। उनके अनुसार यह राशि प्रदेश के विकास कार्यों और इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट में खर्च की जाती है, जिससे दीर्घकाल में राज्य की आर्थिक स्थिति मजबूत होती है।
सरकार का दावा है कि कर्ज लेने की निर्धारित सीमा अभी भी शेष है और राज्य की वित्तीय स्थिति संतुलित बनी हुई है। वित्त वर्ष 2023-24 में सरकार 12,487.78 करोड़ रुपये के रेवेन्यू सरप्लस में रही थी, जिसमें कुल आय 2,34,026.05 करोड़ रुपये और व्यय 2,21,538.27 करोड़ रुपये था। वहीं वित्त वर्ष 2024-25 में रिवाइज्ड आंकड़ों के अनुसार सरकार की आय 2,62,009.01 करोड़ रुपये और खर्च 2,60,983.10 करोड़ रुपये आंका गया है। इस तरह चालू वित्त वर्ष में भी सरकार ने 1,025.91 करोड़ रुपये का रेवेन्यू सरप्लस दिखाया है। सरकार का कहना है कि लिया गया पूरा कर्ज तय लोन लिमिट के भीतर है और इसका उपयोग केवल विकास कार्यों के लिए किया जा रहा है।
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