दैनिक सांध्य बन्धु जबलपुर। स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन (SIR) के दबाव में लगातार काम कर रहीं बीएलओ नीलम कोरी गत दिवस कार्यस्थल पर अचानक बेहोश होकर गिर पड़ीं। साथी बीएलओ ने उन्हें तत्काल नजदीकी डॉक्टर के पास पहुंचाया, जहां प्राथमिक उपचार के बाद उन्हें एक निजी अस्पताल के लिए रेफर कर दिया गया। डॉक्टरों के अनुसार नीलम लगातार तनाव और थकावट के कारण बेहोश हुई थीं। फिलहाल उनकी हालत स्थिर बताई गई है।
देश में 25 से अधिक बीएलओ की जान गई
चुनाव आयोग की ओर से चलाए जा रहे एसआईआर अभियान में तेज स्पीड से काम की अपेक्षा की जा रही है। बताया जा रहा है कि देशभर में निरंतर दबाव में काम कर रहे 25 से अधिक बीएलओ की मौत हो चुकी है। शुरू में पुनरीक्षण कार्य की समय सीमा एक माह रखी गई थी, जिसे अब 4 दिसंबर से बढ़ाकर 11 दिसंबर किया गया है। ज़मीनी स्तर पर काम कर रहे बीएलओ इसे बेहद अपर्याप्त मान रहे हैं।
बीएलओ पर बढ़ रहा कार्यभार, रिकॉर्ड मिलान बना चुनौती
गढ़ा वार्ड के मतदान केंद्र क्रमांक 13 की बीएलओ नीलम कोरी एसआईआर कार्य के दौरान बेहोश हुईं। साथी बीएलओ का कहना है कि दिन-रात मतदाता सूची के सत्यापन का काम करना पड़ रहा है।
2003 की मतदाता सूची से मिलान मुश्किल
जिन मतदाताओं ने घर बदला है, उनका पता मिलाना बेहद कठिन हो गया है। 2003 की पुरानी लिस्ट से बूथ नंबर, विधानसभा नंबर और क्रम संख्या ढूंढने में काफी समय लग रहा है।
“सिर्फ आदेश… हमारी समस्याएं सुनने वाला कोई नहीं”
नीलम कोरी की हालत देखकर अन्य बीएलओ अधिकारियों का आक्रोश फूट पड़ा। उनका कहना है आयोग ने पर्याप्त समय नहीं दिया। लगातार काम के दबाव से जान पर बन आती है। कलेक्टर व एसडीएम सिर्फ निर्देश देते हैं, समस्याएं नहीं सुनते हैं।
एसआईआर: विवाहित महिलाओं के मायके रिकॉर्ड बने बड़ी बाधा
मायके के पुराने रिकॉर्ड ने रोकी प्रक्रिया
एसआईआर अभियान की सबसे बड़ी चुनौती विवाहित महिलाओं के पुराने मायके के रिकॉर्ड बने हुए हैं। पुरानी लिस्ट में दर्ज मायके के पते और वर्तमान पते में अंतर होने से रिकॉर्ड मिलान में काफी देरी हो रही है।
किराएदारों और गलत पते की दिक्कतें
कई परिवार किराए पर रहते थे और अब दूसरी जगह शिफ्ट हो चुके हैं। ऐसे मामलों में फार्म वापस लौट जा रहे हैं।
डिजिटलाइजेशन से पहले डेटा सुधार जरूरी
बीएलओ बताते हैं कि डेटा फीडिंग तब तक नहीं हो पा रही, जब तक पुराने रिकॉर्ड का सटीक मिलान न हो जाए। अनुमान है कि 30% फार्म का मिलान हो चुका है, लेकिन बड़ी संख्या में फार्म अभी भी लंबित हैं।