किसान डायरेक्ट सीडेड राईस विधि को अपनाकर अधिक उत्पादन कर सकते हैं :–उप संचालक कृषि


दैनिक संध्या बन्धु जबलपुर।
 उप संचालक कृषि ने बताया कि जबलपुर जिले में खरीफ में धान की 1.70 लाख हेक्टेयर में बोनी होती है तथा रबी में गेहूं 1.98 लाख हेक्टेयर में बोनी की जाती है। अत: जबलपुर की मुख्य फसल धान एवं गेहूं है, साथ ही जायद में उड़द, मूंग का रकबा बढ़कर 1.05 लाख हेक्टेयर हो गया है। अगर किसान डायरेक्ट सीडेड राईस (एएसआर) विधि को अपनाकर धान, गेहूं एवं मूंग, उड़द की बोनी करते हैं, तो सभी फसलों का बोनी एवं कटाई के समय में 10-15 दिन की बचत की जा सकती है, जिससे तीनों मौसम की फसलों का उत्पादन बढ़ाया जा सकता है। किसानों को जायद मूंग-उड़द पकने की अवस्था में वर्षा के कारण फसल सुखाने के लिये खरपतवार नाशक दवा डालने की आवश्यकता नहीं होगी तथा मूंग-उड़द का दाना बोल्ड एवं उत्पादन अधिक प्राप्त होगा।

कृषकों को धान में रोपा के बजाय डी.एस.आर पद्धति से सीधे बुवाई करने की सलाह दी जाती है। इस पद्धति में धान की बुवाई करने से लागत में कमी आती है जैसे- रोपाई से अपेक्षाकृत कम मजदूरों की आवश्यकता होती है, धान में पानी की कम आवश्यकता होती है अत: जल संरक्षण भी होता है, लाईन से बोनी होने के कारण खरपतवार, कीड़े, बीमारियों के नियंत्रण के लिये की जाने वाली गतिविधियां एवं दवाओं के उपयोग में सुविधा होती है तथा खड़ी फसल में कृषि यंत्रों का उपयोग भी आसानी से किया जा सकता है। लाईन में बोनी होने के कारण पौधों को सूर्य का प्रकाश स्थान पानी एवं पोषक तत्वों के लिये आपस में प्रतिस्पर्धा नहीं होती है। फलस्वरूप फसल में अधिक कल्ले निकलते हैं और उत्पादन में वृद्घि होती है। धान की बुवाई डी.एस.आर सीडड्रिल या जीरोटिलेज सीडड्रिल से की जा सकती है। यह सीडड्रिल उपलब्ध न होने पर सामान्य सीडड्रिल में ही फ्लूटेड-रोलर पर्याप्त स्थिति में खोलकर उपयोग किया जा सकता है। इससे धान के बीज टूटने से बच जाते हैं, साथ ही बीज के साथ डी.ए.पी. का मिश्रण भी किया जा सकता है। कृषि अभियांत्रिकी द्वारा इस वर्ष सभी विकास खण्डों में खरीफ मौसम में धान की बोनी डायरेक्ट सीडेड राईस (एएसआर) विधि के प्रदर्शन भी आयोजित किये जायेंगे।

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