दैनिक सांध्य बन्धु। प्रदेश में लोकसभा चुनाव के बीच दल-बदल की राजनीति जोर पकड़ हुआ था। कांग्रेस के कई वरिष्ठ नेताओं, विधायकों, महापौर और पूर्व केंद्रीय मंत्रियों ने भाजपा का दामन थाम लिया था। कांग्रेस के विधायक कमलेश शाह ने अपनी विधानसभा सदस्यता से इस्तीफा दे दिया था। लेकिन विजयपुर से विधायक रामनिवास रावत और बीना से विधायक निर्मला सप्रे ने अभी तक अपनी विधायकी नहीं छोड़ी है, जो प्रदेश की राजनीति में चर्चा का विषय बना हुआ है।
रामनिवास रावत और निर्मला सप्रे के बीजेपी में शामिल होने के बावजूद उनकी विधायकी से इस्तीफा न देने पर कांग्रेस ने तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की है। कांग्रेस ने इसे लोकतांत्रिक मूल्यों के खिलाफ करार दिया है और दोनों विधायकों से तुरंत इस्तीफा देने की मांग की है। कांग्रेस का कहना है कि पार्टी बदलने के बाद विधानसभा की सदस्यता बनाए रखना अनैतिक है और यह जनता के विश्वास का अपमान है।
दूसरी ओर, भाजपा ने इस मुद्दे पर चुप्पी साध रखी है और दोनों विधायकों के फैसले का समर्थन किया है। भाजपा नेताओं का कहना है कि विधायकों का इस्तीफा न देना उनकी व्यक्तिगत राय और अधिकार है, और इस पर कोई दबाव नहीं डाला जाना चाहिए।
अमरवाड़ा से विधायक रहे कमलेश शाह इस्तीफा दे दिया था परंत रामनिवास रावत एवं निर्मला सप्रे का अब तक इस्तीफा नही दिया है। यह देखना दिलचस्प इसका चुनावी नतीजों पर क्या प्रभाव पड़ता है।