दैनिक सांध्य । शीतलाष्टमी के अवसर पर जबलपुर शहर में शीतलामाई मांई मंदिर में भक्तों ने विशेष पूजा-अर्चना की। इस धार्मिक उत्सव में सुबह से ही मंदिर में भक्तों की भीड़ उमड़ गई और वे विधि-विधान से माता की पूजा कर रहे थे। शीतलामाई को शांति और बरकत की देवी माना जाता है और इस अवसर पर उनकी आराधना करने से लोग अपनी मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए प्रार्थना करते हैं।
मंदिर के पंडितों के अनुसार, शीतलामाई की पूजा से बच्चों की स्वास्थ्य की देखभाल होती है। यहां पर आने वाले लोग शीतलामाई के चढ़ाए गए जल को पीड़ित बच्चों के शरीर में लगातार तीन दिन तक लगाते हैं, जिससे उन्हें ठंडक महसूस होती है।
इस मंदिर का इतिहास भी बहुत पुराना है, जो कुम्हार जाति के लोगों की कुलदेवी के रूप में जानी जाती है। यहां पर पूर्व में एक बौराहा था, जहां लोग चौराहे पर ठहरकर शीतलामाई की पूजा करते थे। आज भी कुम्हार जाति के लोग इस मंदिर में नियमित रूप से आते हैं और उनकी आराधना करते हैं।
इस अवसर पर महिलाएं विशेष रूप से रात के बाद भोजन की तैयारी करती हैं, जिसे भोग के रूप में बनाया जाता है। इस भोग का प्रसाद देने का कार्य सभी श्रद्धालु भक्तों को किया जाता है। शीतलाष्टमी के अवसर पर जबलपुर में शीतलामाई मांई मंदिर में भक्तों ने अपनी श्रद्धा और विश्वास का प्रदर्शन किया।
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