दैनिक सांध्य बन्धु जबलपुर। प्रदेश के अन्य जिलों की तरह बालाघाट जिले में भी इन दिनों जल संरक्षण और जल संवर्धन का अभियान चल रहा है। इस अभियान का उद्देश्य प्राकृतिक संसाधनों का सही उपयोग कर जल को संरक्षित करना है। नगर परिषद वारासिवनी ने गुरुत्वाकर्षण बल का उपयोग कर अपने नागरिकों के घरों में जल पहुँचाने का सफल प्रयास किया है, जिससे सालाना लगभग 1 करोड़ रुपये की बचत हो रही है।
नगर परिषद वैनगंगा नदी से लगभग 18 किमी की दूरी से जल खींचकर जल वितरण कर रही है। इसमें 11 किमी की दूरी गुरुत्वाकर्षण बल के कारण पूरी हो रही है। वारासिवनी सीएमओ श्रीमती दिशा डेहरिया ने बताया कि नगर में लगभग 50 कॉलोनियों, मोहल्लों और नगरों की जल प्रदाय वितरण व्यवस्था प्राकृतिक रूप से हो रही है। वैनगंगा नदी पर स्थित इंटेकवेल से पानी मोटर की मदद से डोंगरिया स्थित 7 किमी वॉटर ट्रीटमेंट प्लांट तक लाया जाता है। इसके बाद 11 किमी की दूरी बिना मोटर के सहारे नगर में 65 किमी क्षेत्र में बिछी पाइपलाइन से 3600 घरों में पहुँचता है।
वॉटर ट्रीटमेंट प्लांट से 18 मीटर ऊंची टंकी में सीधे फोर्स के साथ पानी पहुँचता है। वॉटर ट्रीटमेंट प्लांट की व्यवस्था संभाल रहे एसई सुमित मोटवानी ने बताया कि डोंगरिया वॉटर ट्रीटमेंट प्लांट से वारासिवनी नगर में 7.3 एमएलडी ट्रीटेड जल की आपूर्ति हो रही है। डोंगरिया ट्रीटमेंट प्लांट से नगर में 18 लाख 5 हजार और 4 लाख 5 हजार लीटर की टंकी तक 18 मीटर ऊंची टंकियों में पानी आसानी से बिना मोटर के सहारे पहुँच रहा है। नगर में जल प्रदाय हर दिन 2 घंटे सुबह और 2 घंटे शाम को किया जा रहा है।वैनगंगा नदी पर बने इंटेकवेल में लगी 105 एचपी की मोटर का बिल 5 लाख रुपये और अन्य खर्च 3 लाख रुपये आता है। अगर नगर में पानी पहुँचाने के लिए मोटर पम्प का सहारा लिया जाए तो करीब 8 लाख रुपये प्रतिमाह बिल आता। इस हिसाब से गुरुत्वाकर्षण बल के कारण नगर पालिका को प्रतिमाह 8 लाख रुपये यानी सालाना 96 लाख रुपये की बचत हो रही है।
जल गंगा संवर्धन अभियान जन कल्याण का अभिनव अभियान
जल गंगा संवर्धन अभियान जो 16 जून तक चलने वाला है, केवल सरकारी अभियान नहीं है बल्कि सामाजिक सहभागिता का भी अभियान है। इस अभियान में हर व्यक्ति को शामिल होना चाहिए जो पानी का उपयोग कर रहा है। लोग अपने आसपास के जल स्रोतों की सफाई करने के साथ ही पौधरोपण कर जल देना भी सुनिश्चित कर सकते हैं। शासकीय रूप में जल संवर्धन के लिए पुराने जल स्रोतों को पुनर्जीवित किया जा रहा है। इसके लिए 500 तालाबों, कुओं और नलकूपों को लिया गया है। जल और पर्यावरण के संरक्षण के लिए अब हर व्यक्ति इस दिशा में सकारात्मक सोच के साथ प्रभावी कार्य कर रहा है। जिसके अच्छे परिणाम भावी पीढ़ी को अवश्य मिलेंगे।