MP News: 35 वर्षीय महिला ने दिया 10वें बच्चे को जन्म, सरकार की परिवार नियोजन नीति पर सवाल

दैनिक सांध्य बन्धु बालाघाट। 35 वर्षीय महिला, जुगतीबाई पति अकलु सिंह मरावी, ने सोमवार-मंगलवार की दरमियानी रात अपने 10वें बच्चे को जन्म दिया। जुगतीबाई की बड़ी बेटी 22 साल की है, यानी वह पहली बार महज 13 साल की उम्र में मां बनी थी।

जुगतीबाई को प्रसव पीड़ा होने पर आशा कार्यकर्ता और परिजन स्थानीय बिरसा अस्पताल ले गए, जहां से उसे जिला अस्पताल रेफर किया गया। जिला अस्पताल में डॉ. अर्चना लिल्हारे द्वारा किए गए सीजेरियन ऑपरेशन में महिला ने स्वस्थ शिशु को जन्म दिया। ऑपरेशन के दौरान मां और बच्चे दोनों की जान को खतरा था, लेकिन डॉक्टरों की सतर्कता के कारण दोनों सुरक्षित हैं।

डॉ. अर्चना लिल्हारे ने बताया कि जुगतीबाई बैगा आदिवासी समुदाय की है। सरकारी आदेशों के अनुसार, बैगा समुदाय की नसबंदी नहीं की जा सकती जब तक स्वयं वे आग्रह न करें और कलेक्टर की सहमति न हो। इस कारण जुगतीबाई की नसबंदी नहीं की गई।

जिला अस्पताल के सिविल सर्जन डॉ. निलय जैन ने बताया कि उनके 30 साल के कार्यकाल में यह पहला मामला है जब किसी महिला ने 10वें बच्चे को जन्म दिया है। उन्होंने इसे "रेयरेस्ट ऑफ रेयर" मामला बताया और मां-बेटे के सुरक्षित होने पर संतोष व्यक्त किया।

जुगतीबाई का परिवार बेहद गरीब है और उसके तीन बच्चों की प्रसव के बाद मृत्यु हो चुकी है। वर्तमान में उसके पास ऐसा कोई प्रमाणिक दस्तावेज भी नहीं है, जिसके आधार पर वह सरकार की किसी योजना का लाभ उठा सके।

आदिवासी विकास परिषद के अध्यक्ष दिनेश धुर्वे ने इस मामले पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि सरकार के फैमिली प्लानिंग डिपार्टमेंट को इस विषय में अधिक काम करने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि आदिवासी समुदाय को संरक्षित किया जाना चाहिए, लेकिन विवाह की उम्र और स्वास्थ्य का ध्यान रखना भी आवश्यक है।

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