Jabalpur News: हादसों के बाद जागता है प्रशासन लापरवाही का सिलसिला जारी, गत दिवस हुए भीषण सड़क हादसे में फिर हुई 7 मजदूरों की मौत

दैनिक सांध्य बन्धु जबलपुर। गत दिवस मझगंवा के नजदीक हुए एक दर्दनाक सड़क हादसे ने फिर से प्रशासन की लापरवाही पर सवाल खड़े कर दिए हैं। इस हादसे में 7 मजदूरों की जान चली गई एवं 11 मजदूर घायल हुआ है इस हादसों ने पहले होई ऐसे ही घटनाओ की याद ताजा कर दी।

लोडिंग वाहनों में यात्रा करना मतलब जान को मैं डालना जोखिम

कल के हादसे में जिन लोगों की जान गई, वे मजदूर थे। इससे पहले भी लोडिंग वाहनों में सवार अधिकांश मजदूर ही ऐसे हादसों का शिकार हुए हैं। इन वाहनों के मालिक द्वारा परिवहन विभाग के नियमों की धज्जियां उड़ाते हुए मजदूरों को लादकर लाया और ले जाया जाता है, जिसके चलते यह हादसे होते हैं।

शहर में भी मजदूरों को लोडिंग वाहनों में लाना ले जाना आम बात है

शहरों में भी भवन निर्माण में लगे ठेकेदार मजदूरों को लोडिंग वाहनों में ही लाते हैं, जिससे उनकी जान को खतरा बना रहता है। यातायात पुलिस और आरटीओ विभाग हालांकि कार्रवाई करने का दावा करते हैं, लेकिन हकीकत में यह समस्या ज्यों की त्यों बनी रहती है। अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक प्रदीप सेंडे ने बताया कि यातायात पुलिस ऐसे वाहनों पर कठोर चालानी कार्रवाई करती है।

हादसों के बाद ही जागता है प्रशासन

चाहे पुलिस प्रशासन हो या जिला प्रशासन, दोनों ही हादसों के बाद ही कार्रवाई करते दिखते हैं। अगर नियम विरुद्ध लोडिंग वाहनों में सवारी को लाने ले जाने पर पहले ही सख्त कार्रवाई की जाती, तो इन हादसों को रोका जा सकता था। ग्रामीण क्षेत्रों में आरटीओ की उड़न दस्ते की ज़िम्मेदारी होती है कि ऐसे वाहनों पर कार्रवाई की जाए, लेकिन यह दस्ता अक्सर अपने काम से ज्यादा पैसों की उगाही में लगा रहता है। शहरों में यातायात पुलिस भी सिर्फ हेलमेट और सीट बेल्ट की चेकिंग में ही ध्यान देती है और इसे वाहनों की ओर आंखें मूद रहती है।

मेलों और त्योहारों के समय बढ़ती हैं सड़क दुर्घटनाएं

मेलों और त्योहारों के समय इस तरह के सड़क हादसों में इजाफा देखा जाता है। संक्रांति, गणेश विसर्जन, दुर्गा विसर्जन और क्षेत्रीय मेलों के दौरान ग्रामीण क्षेत्रों के लोग ट्रैक्टर, ट्रॉली और लोडिंग वाहनों में इकट्ठे होकर सफर करते हैं, जिससे दुर्घटनाओं का खतरा बढ़ जाता है। 4 साल पहले बरगी और चरगंवा में भी ऐसे ही हादसों में कई लोगों की जान गई थी।

ग्रामीण क्षेत्रों में आवागमन के साधनों की कमी

दूरदराज के ग्रामीण क्षेत्रों में आवागमन के साधनों की कमी भी ऐसे हादसों का बड़ा कारण है। पहले राज्य परिवहन की बसें इन क्षेत्रों में चलती थीं, लेकिन अब सिर्फ प्राइवेट बसें ही संचालित होती हैं, जिनकी संख्या कम है और किराया अधिक होता है। ऐसे में ग्रामीण जन मजबूरी में लोडिंग वाहनों में सफर करते हैं।

इनका कहना है

वहीं सांध्य बन्धु के प्रतिनिधि के सवाल पर आरटीओ उड़न दस्ता प्रभारी ज्योति मोवले का कहना है कि वे सभी वाहनों का पीछे तो नहीं घूम सकती है, लेकिन जब ऐसी गाड़ियां दिखती हैं, तो कार्रवाई की जाती है। 

ज्योति मोवले, उड़न दस्ता प्रभारी

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