मनोहर लाल खट्टर का कपड़े की दुकान से मुख्यमंत्री तक का सफर

दैनिक सांध्य बन्धु चंडीगढ़। 1999 में हरियाणा में बीजेपी और हरियाणा विकास पार्टी की गठबंधन सरकार थी। मुख्यमंत्री बंसीलाल ने बीजेपी के संगठन मंत्री से मिलने से इनकार कर दिया, जिससे आहत होकर संगठन मंत्री ने बंसीलाल की सरकार गिराने की कसम खाई। 1999 में बीजेपी ने समर्थन वापस लिया और जुलाई में बंसीलाल की सरकार गिर गई। यह संगठन मंत्री और कोई नहीं, बल्कि मनोहर लाल खट्टर थे, जो 15 साल बाद 2014 में हरियाणा के मुख्यमंत्री बने।

संघ प्रचारक बनने का सफर

मनोहर लाल खट्टर का जन्म 5 मई 1954 को रोहतक के निंदाना गांव में हुआ। शुरुआती दिनों में उनका परिवार मजदूरी करता था, लेकिन खट्टर डॉक्टर बनना चाहते थे। मेडिकल प्रवेश परीक्षा में असफल होने के बाद उन्होंने दिल्ली के सदर बाजार में कपड़े की दुकान खोली। जल्द ही वे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) से जुड़े और 1979 में पूर्णकालिक प्रचारक बन गए।

मोदी से दोस्ती और राजनीति में कदम

1996 में नरेंद्र मोदी जब हरियाणा के प्रभारी बने, तब से खट्टर और मोदी की दोस्ती शुरू हुई। खट्टर ने 2002 में गुजरात में मोदी के लिए चुनाव प्रबंधन किया और महत्वपूर्ण जीत दिलाई। खट्टर को 2004 में विभिन्न राज्यों का प्रभारी बनाया गया और उनकी रणनीति के तहत भाजपा ने जम्मू-कश्मीर में पहली बार 11 सीटें जीतीं।

पहली बार चुनाव और सीएम पद  

2014 में हरियाणा विधानसभा चुनाव में खट्टर पहली बार करनाल से विधायक बने और भाजपा ने 47 सीटों पर जीत दर्ज की। पार्टी आलाकमान ने सभी को चौंकाते हुए खट्टर को मुख्यमंत्री बनाया। 2019 में भी खट्टर ने JJP के साथ गठबंधन कर फिर से मुख्यमंत्री पद की शपथ ली।

खट्टर की अनूठी योजनाएं

मुख्यमंत्री रहते खट्टर ने कुंवारों के लिए पेंशन योजना शुरू की, जिससे 40 से 60 वर्ष के कुंवारे और विधुर लोगों को 2750 रुपये प्रतिमाह पेंशन मिलती है। इसके अलावा, उन्होंने अपने पैतृक घर को दान कर समाज के प्रति अपनी सेवा भावना दिखाई।

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