दैनिक सांध्य बन्धु महेंद्रगढ़। महेंद्रगढ़, हरियाणा के चौधरी चुन्नीलाल, 107 साल की उम्र में चमार रेजिमेंट के एकमात्र जीवित सिपाही हैं और भारतीय स्वतंत्रता संग्राम का जीवंत प्रमाण हैं। वह चमार रेजिमेंट के पहले हवलदार थे और उनके साहसिक कार्यों ने देश के स्वतंत्रता संग्राम में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
ब्रिटिश भारत में जातिगत भेदभाव के बावजूद चमार रेजिमेंट का गठन हुआ, जिसने अपनी वीरता से ब्रिटिश शासन को चुनौती दी। चौधरी चुन्नीलाल जी इसी रेजिमेंट में हवलदार के पद पर थे और स्वतंत्रता संग्राम में उनका योगदान अद्वितीय था।
चौधरी चुन्नीलाल जी का नाम एक ऐतिहासिक घटना से जुड़ा है, जहां उन्होंने उस ब्रिटिश अधिकारी को गोली मारी जिसने नेता जी सुभाषचंद्र बोस को मारने का आदेश दिया था। उनका यह कदम उनके देशभक्ति और अंग्रेजों के प्रति विद्रोह का प्रतीक था।
107 साल की उम्र में भी, चौधरी चुन्नीलाल जी का जीवन संघर्ष, समर्पण, और साहस की मिसाल है। उनकी वीरता और देशभक्ति हर भारतीय को प्रेरित करती है और हमें यह याद दिलाती है कि सच्चा देशभक्त कभी हार नहीं मानता।
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