दैनिक सांध्य बन्धु कटनी। उमरियापान में स्थित बड़ी माई मंदिर सदियों से जन आस्था का प्रमुख केंद्र रहा है। इस मंदिर का निर्माण कल्चुरी राजाओं के कार्यकाल में दैवीय शक्ति से एक ही रात में हुआ माना जाता है। गांव के बुजुर्गों के अनुसार, जब सुबह हुई तो लोगों ने एक विशाल मंदिर को खड़ा पाया, जिसे किसी ने बनते नहीं देखा था। इस प्राचीन मंदिर में शिलालेख और पुराने पत्थर भी मौजूद हैं, जो इसकी ऐतिहासिकता की पुष्टि करते हैं।
पहले मंदिर तक पहुंचना कठिन होता था, क्योंकि चारों ओर घनी झाड़ियां और जंगली जानवर होते थे। कई दशकों के बाद श्रद्धालुओं के प्रयासों से मंदिर का विस्तार हुआ। यह मंदिर न केवल उमरियापान, बल्कि आस-पास के इलाकों में भी आस्था का केंद्र बना हुआ है।
नवरात्रि के अवसर पर बड़ी माई मंदिर में भक्तों की संख्या कई गुना बढ़ जाती है। इस दौरान यज्ञ, धार्मिक अनुष्ठान, और जवारे बोने जैसी परंपराएं निभाई जाती हैं। नौ दिनों के बाद जवारे का विसर्जन बड़े धूमधाम से किया जाता है, और गांव में अठमाई, कन्या भोजन समेत अन्य धार्मिक कार्यक्रम आयोजित होते हैं।
मंदिर के प्रति लोगों की गहरी आस्था है, और मान्यता है कि जो भी भक्त सच्चे मन से मन्नत मांगते हैं, उनकी मनोकामनाएं माता बड़ी माई पूरी करती हैं।
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